मोहपाश...!!

अपने मोहपाश में
क्यूँ बांध रहे हो तुम/मुझे।
मेरी कीमत तो शून्य है,
जली चीजों की तरह।
मैं क्रोध में उबलकर
शांत हुई हूँ,
तुम्हारी तरह।
मेरी आँखों मे अब कोई ख़्वाब नहीं
सिर्फ कुछ आंसू, और उदासी भरी है, इनमें।
मैं एक गहरा अंधकार हूँ,
तुम इसमें मत डूबना।
बस मुझे प्रेम करने देना
सदियों तक।

तुम्हारे हृदय में कोई अभिमान  नहीं
तुम स्वर्ण हो..
चंदन हो..
राजमुकुट में लगा।

तुम्हारा प्रेम तो  निर्मल है,
चाँद सा शीतल है।
जिसमें मैं बह रही हूँ।
सुनहरी होकर।

तुम मुझसे रोज मिलना
मेरी कविता की
धड़कन बनकर।

मैं तुमसे कुछ नहीं पूछुंगी
न तुम पूछना।
बस मेरे हृदय में रहना
ख़्वाब बनकर।

इस जन्म न मिल पाऊंगी
अगले जन्म का भी वादा नहीं
बस तुम्हें यूं ही प्रेम करती रहूँगी
सदियों तक।

तुम कान्हा बन जाना
मैं राधा बन जाऊंगी
तुम बस बंसी बजाना
मैं उसमें खो जाऊँगी।
बिन कुछ कहे, बिन कुछ बोले
तुम अपने सारे दर्द मुझे दे देना
मैं अपने दर्दो में घोल कर सारा दर्द पी जाऊँगी
तुम बस अपने चहरे पर मुस्कान सजाये रखना।
मैं ये देख जी जाऊँगी।
खुशबू बन उड़ जाऊंगी।
पूर्ण हो जाऊँगी!!






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