ख़्वाब गुलमोहर के....!!!

ये हल्के वजनदार ख़्वाब...
स्वप्नीली आंखों में कैसे आ गए...।
ये गजलों का जादू...
तुम्हारे प्रेम की पुष्पवर्षा में भीग...
गुलाबों सा खूबसूरत कैसे हो गया...।
ये खूबसूरत रिश्ता...
वर्षा में भीग...
सौंधी मिट्टी सा कैसे महक रहा है...।
ये तन्हा दिल को क्या हो गया है...।
भीड़ में भी सिर्फ तू नजर आ रहा है...।
आईने में सूरत मेरी...
आंखों में तू नजर आ रहा है...।।

तेरी तस्वीर से...
कुछ गुफ़्तगू की मैंने...।
उमस भरी जिंदगी में...
कुछ तेरे नाम की
हवा की मैंने...।
एक पैगाम लिखा है..,,
तेरे नाम...।
तू कहे तो...
बारिश संग भेज दूं...
तेरे आंगन...।

सुख-दुख के...
रंगीन लिफाफे पर...
अंगूठे से तिलक लगा...
इत्र में भिगो...
तेरी देहरी पर...
रख आई हूँ...।
तू चाहे तो...
पढ़ लेना...
न चाहे तो...
किसी पेड़ के...
नीचे रख देना...
पर मुझे ये न बताना...
मेरा भ्रम रहने देना...।।





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