खट्टी-मीठी जिंदगी...!!
ख़यालो की नरमी में
खट्टे-मीठे अनुभव लिए
जिंदगी चली जा रही है।
मुक्कमल जहाँ की तलाश में
बिखरी जिंदगी बस चली जा रही है।
दुख के समुंदर में सुख डूब गया
बेज़ान इंसान बस ताकता रह गया।
अहसास बयां करते करते
सांसे थम गई,
पर किसी की समझ में
ये जिंदगी न आई।
बरसों इंतज़ार किया
पर ख़्वाब हक़ीकत में न ढले।
जद्दोजहद का नतीजा भी
कुछ खास न निकला।
जिम्मेदारियों के पहाड़ के नीचे
कोहरा बहुत है,
हर दृश्य धुंधला
मन पर बोझ भारी है!
खट्टे-मीठे अनुभव लिए
जिंदगी चली जा रही है।
मुक्कमल जहाँ की तलाश में
बिखरी जिंदगी बस चली जा रही है।
दुख के समुंदर में सुख डूब गया
बेज़ान इंसान बस ताकता रह गया।
अहसास बयां करते करते
सांसे थम गई,
पर किसी की समझ में
ये जिंदगी न आई।
बरसों इंतज़ार किया
पर ख़्वाब हक़ीकत में न ढले।
जद्दोजहद का नतीजा भी
कुछ खास न निकला।
जिम्मेदारियों के पहाड़ के नीचे
कोहरा बहुत है,
हर दृश्य धुंधला
मन पर बोझ भारी है!
बहुत सुंदर वाह
जवाब देंहटाएंसुंदर विवरण अनुभवों का शानदार👌
जवाब देंहटाएं