मेरी प्रार्थना में तुम हमेशा रहते हो


सुनो~
तुम्हारी क़ीमत मैं चुका ही नहीं सकती।
तुम तो अनमोल हीरा हो।
मेरी राह का प्रकाश हो।
मेरी शक्ति हो।
मेरी आँखों का नूर हो।
मैं तो जंगल की सूखी लकड़ी थी।
तुमने कोमल पत्तों से सजा दिया।
माथे पर सिंदूरी मुकुट सजा
मेरी कल्पनाओं में भी मुझे
मंगलगान सुना दिया।
मेरी प्रार्थना में तुम हमेशा रहते हो,
सोचो तो जरा क्यों रहते हो?
क्योंकि तुम...
युद्ध में हारते नहीं
धुंए में उड़ते नहीं
भरोसा तोड़ते नहीं
मौसम से बदलते नहीं
आत्ममुग्धा नहीं।
अर्थमय जीवन का तुम
सार हो।
मेरी कल्पनाओं का तुम
पूरा संसार हो!

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