बड़े अच्छे लगते हो तुम...।।

तुम कौन हो नहीं जानती मैं
पर जब-जब सोचती हूँ तुम्हे
बहुत अच्छे लगते हो तुम।

तरल सी मैं
कठोर से तुम
फिर भी धूल भरी आंधी में
चल ही लेते है।
ईंट, कंकर, पत्थर बटोर
अपना आशियाना बना ही लेते है।

तुम मुझमें..लीन
मैं तुझमें..लीन
नदियां में बह
सागर में मिल ही जाते है।

सुनो~~
जब भी इस रहस्यमय जीवन का
अंत होगा न।
तुम मुझे मिलने जरूर आना।
ज्यादा कुछ नहीं बस
मेरे माथे को चूम
एक जलता अलाव
मेरे जिव्हा पर रख देना।
अगले जन्म फिर
मिलने का वादा ले।


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