अधूरा खत

कब तक मौन धरूँ मैं?
घुटनों-घुटनों पानी में
कब तक डुबू मैं?
स्नेह का दीप जलाए
कब तक सरोवर में तैरूं मैं?
भीतर गूंज ही गूंज
बाहर कब तक धैर्य धरूँ मैं??
सुनो~~~
एक खत लिखा है।
जिसमें अधूरी बात
पूरी कहानी लिखी है।
धूप की चुभन
छांव की तड़प लिखी है।
धरा की पीड़ा
नील गगन की जुबानी
लिखी है।
इत्र की खुश्बू में
पतझड़ की
उदासी लिखी है।
एक मैं
एक तुम
पूरी जुदाई
आधी तबाही लिखी है।
एक खत में
पूरी कहानी
आधी बात लिखी है!

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