सच के कई पहलू होते है..।
सच के कई पहलू होते हैं, इसलिए किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सबकी बातें सुननी चाहिए।
सीख : कई बार हम सच्चाई जाने बिना अपनी बात पर अड़ जाते हैं कि हम ही सही हैं। जबकि हम सिक्के का एक ही पहलू देख रहे होते हैं। इसलिए, हमें अपनी बात तो रखनी चाहिए, पर दूसरों की बात भी पूरी सुननी चाहिए। इस कहानी से समझें---
एक गांव में छह दृष्टिहीन व्यक्ति रहते थे। एक बार उनके गांव में हाथी आया। सभी लोग उसे देखने जा रहे थे। उन्होंने भी सोचा कि काश वे दृष्टिहीन न होते तो वे भी हाथी को देख सकते थे। इस पर उनमें से एक ने कहा कि हम हाथी को भले ही न देख सकते हों, लेकिन छू कर तो महसूस कर ही सकते हैं कि हाथी कैसा होता है? सभी उसकी बात से सहमत हो गए और उन्होंने हाथी को छूना शुरू किया। उन सबने हाथी के अलग-अलग हिस्सों को स्पर्श किया था।
जब उन्होंने आपस में चर्चा करते हुए हाथी का वर्णन शुरू किया तो जिसने हाथी के अगले पांवों को छुआ था, उसने कहा हाथी किसी खम्भे की तरह होता है।
जिसने हाथी की पूंछ को छुआ था, उसने कहा कि वह रस्से की तरह होता है। पिछले पैरों को छूने वाला बोला वह पेड़ के तने की तरह होता है। जिसने कान का स्पर्श किया था, उसने कहा कि वह तो बहुत बड़े सूप की तरह होता है। हाथी के पेट को छूने वाले ने कहा कि वह तो एक दीवार की तरह विशाल होता है। सूंड को छूने वाले ने कहा कि वह मोटी नली की तरह होता है। सभी के मत अलग-अलग होने के कारण उनमें बहस होने लगी और हरेक खुद को सही साबित करने में लग गया।
तभी वहां से एक व्यक्ति गुज़र रहा था। उसने पूछा कि वे बहस क्यों कर रहे है? उन्होंने कहा कि हम यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर हाथी दिखता कैसा है।
फिर एक-एक करके उन्होंने अपनी बात उस व्यक्ति को समझाई। उस व्यक्ति ने सबकी बात सुनी और बोला कि तुम सब सही हो, तुम्हारे वर्णन में अंतर इसलिए है, क्योंकि तुम सबने हाथी के अलग-अलग भागों को छुआ एवं महसूस किया। अब सबको पूरी बात समझ आ गई। उस व्यक्ति ने कहा कि यदि आप सबने जो महसूस किया, उसके अलावा भी आगे कुछ महसूस करते तो आप को हाथी असल में कैसा होता है समझ आ जाता। वेद पुराणों में भी कहा गया है कि एक सत्य को कई तरीके से बताया जा सकता है, इसलिए यदि जब अगली बार आप ऐसी किसी बहस में पड़ें तो याद कर लीजिएगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके हाथ में सिर्फ कान हों और बाकी हिस्से किसी और के पास हों।
सीख : कई बार हम सच्चाई जाने बिना अपनी बात पर अड़ जाते हैं कि हम ही सही हैं। जबकि हम सिक्के का एक ही पहलू देख रहे होते हैं। इसलिए, हमें अपनी बात तो रखनी चाहिए, पर दूसरों की बात भी पूरी सुननी चाहिए। इस कहानी से समझें---
एक गांव में छह दृष्टिहीन व्यक्ति रहते थे। एक बार उनके गांव में हाथी आया। सभी लोग उसे देखने जा रहे थे। उन्होंने भी सोचा कि काश वे दृष्टिहीन न होते तो वे भी हाथी को देख सकते थे। इस पर उनमें से एक ने कहा कि हम हाथी को भले ही न देख सकते हों, लेकिन छू कर तो महसूस कर ही सकते हैं कि हाथी कैसा होता है? सभी उसकी बात से सहमत हो गए और उन्होंने हाथी को छूना शुरू किया। उन सबने हाथी के अलग-अलग हिस्सों को स्पर्श किया था।
जब उन्होंने आपस में चर्चा करते हुए हाथी का वर्णन शुरू किया तो जिसने हाथी के अगले पांवों को छुआ था, उसने कहा हाथी किसी खम्भे की तरह होता है।
जिसने हाथी की पूंछ को छुआ था, उसने कहा कि वह रस्से की तरह होता है। पिछले पैरों को छूने वाला बोला वह पेड़ के तने की तरह होता है। जिसने कान का स्पर्श किया था, उसने कहा कि वह तो बहुत बड़े सूप की तरह होता है। हाथी के पेट को छूने वाले ने कहा कि वह तो एक दीवार की तरह विशाल होता है। सूंड को छूने वाले ने कहा कि वह मोटी नली की तरह होता है। सभी के मत अलग-अलग होने के कारण उनमें बहस होने लगी और हरेक खुद को सही साबित करने में लग गया।
तभी वहां से एक व्यक्ति गुज़र रहा था। उसने पूछा कि वे बहस क्यों कर रहे है? उन्होंने कहा कि हम यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर हाथी दिखता कैसा है।
फिर एक-एक करके उन्होंने अपनी बात उस व्यक्ति को समझाई। उस व्यक्ति ने सबकी बात सुनी और बोला कि तुम सब सही हो, तुम्हारे वर्णन में अंतर इसलिए है, क्योंकि तुम सबने हाथी के अलग-अलग भागों को छुआ एवं महसूस किया। अब सबको पूरी बात समझ आ गई। उस व्यक्ति ने कहा कि यदि आप सबने जो महसूस किया, उसके अलावा भी आगे कुछ महसूस करते तो आप को हाथी असल में कैसा होता है समझ आ जाता। वेद पुराणों में भी कहा गया है कि एक सत्य को कई तरीके से बताया जा सकता है, इसलिए यदि जब अगली बार आप ऐसी किसी बहस में पड़ें तो याद कर लीजिएगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके हाथ में सिर्फ कान हों और बाकी हिस्से किसी और के पास हों।
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