अभागा पत्ता...

डाल से टूटकर
वो पत्ता बहुत रोया
फिर किसी शाख से
न जुड़ पाया।

पेड़ से टूट
दर्द से कहराता
हवा में उड़ता रहा
पर किसी की नज़र में
न आया।

उड़ता-उड़ता
सूखे पत्तों के झुंड में
जा पहुंचा।
शोर करता
पैरों के नीचे
कुचला गया।
पर किसी को
तरस न आया।

अभागा पत्ता
डाल से टूट
माटी में मिल गया
पर किसी को
रास न आया।





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