एक शाम
एक शाम तुम लेकर आना
मेरे लिए थोड़ा वक्त
अपने लिए थोड़ा आराम।
दोनों बैठ चाय की चुस्कियों में
बिखरा दिन समेट लेंगे।
तुम करना थोड़ी नशीली बातें
मैं थोड़ा शर्मा कर रसोई में चली जाऊंगी।
तुम रसोई में भी आ जाना
फिर मेरे संग आटे की लोई में
स्वाद भरना छेड़खानी का।
तुम रात का सकोरा बन जाना
मैं ख़्वाब भर पी लुंगी सकोरे में।
तुम गाना मेरे लिए एक गीत
जिससे बादल भी मचल जाए।
तुम थाम लेना मेरा हर मुहर्त
मेरे आंसू, मेरी तड़प, मेरी हँसी भी।
तुम सागर बन जाना
मैं नदिया बन
तुममे समा जाऊंगी।
तुम सूरज बन
नदिया को आगोश में भर लेना।
लहरों की चमक में खो जाना।
मेरे लिए थोड़ा वक्त
अपने लिए थोड़ा आराम।
दोनों बैठ चाय की चुस्कियों में
बिखरा दिन समेट लेंगे।
तुम करना थोड़ी नशीली बातें
मैं थोड़ा शर्मा कर रसोई में चली जाऊंगी।
तुम रसोई में भी आ जाना
फिर मेरे संग आटे की लोई में
स्वाद भरना छेड़खानी का।
तुम रात का सकोरा बन जाना
मैं ख़्वाब भर पी लुंगी सकोरे में।
तुम गाना मेरे लिए एक गीत
जिससे बादल भी मचल जाए।
तुम थाम लेना मेरा हर मुहर्त
मेरे आंसू, मेरी तड़प, मेरी हँसी भी।
तुम सागर बन जाना
मैं नदिया बन
तुममे समा जाऊंगी।
तुम सूरज बन
नदिया को आगोश में भर लेना।
लहरों की चमक में खो जाना।
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