आंतरिक प्रेम.....
आंतरिक प्रेम महसूस किया है,
मैंने अक्सर तुम्हारे साथ।
कर्तव्य भाव जागा है, तुम्हारे साथ।
हर प्रश्न पर तुमनें मुझे माँज कर
चमकदार बना दिया है।
अपने साथ जोड़ कर पूर्ण कर दिया है।
तेरा-मेरा प्रेम आरंभ से अंत तक
ऐसा ही रहेगा न?
सारे नियम कायदों में
कीमती रहेगा न?
हर हाल में प्रेम जीवंत रहेगा न?
देह कौन?
देही कौन?
दोनों एक ही तो है।
भोग कौन?
भोगने वाला कौन?
ये भी दोनों एक ही है।
एक आत्मा, एक मन
और दोनों शरीर में ही है!
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