एक वायरस ने दुनिया बदल दी.....!!!


एक अदृश्य दुश्मन ने सबको घर बिठा दिया। जिंदगी के मायने ही बदल दिए। अब किसी के पास वक्त की कमी का कोई बहाना नहीं था। सबके पास वक्त ही वक्त था।
दिखावे की दुनिया से दूर सब घर की चारदीवारी में सिमट गए। न जल्दी उठने की फिक्र न जल्दी सोने की चिंता।
बस सबसे एक दूरी कायम हो गई।
एक नई दुनिया का आगाज हुआ, मोबाइल सबका ताज हुआ। अब जिम भी मोबाइल में खुला, स्कूल, कॉलेज के एक्ज़ाम भी मोबाइल पर होने लगे, दफ्तर भी मोबाइल में खुला, सब काम मोबाइल से होने लगे।
छोड़ो बात पुरानी अब ऑनलाइन जिंदगानी सबके जीवन मे यही अब एक कहानी।
एक वायरस ने सबको बेहाल कर दिया, नया युद्ध अदृश्य दुश्मन से लड़ा जाने लगा।
कभी जो सीखा था सब मिलकर रहो अलग मत रहो वही अब अलग रहना औषधि बन गई न जाने ये कैसी विपदा आन पड़ी।
बाहर ताजी हवा बह रही है आसमान साफ-सुथरा हो गया
प्रदूषण लगभग आधे से भी हो गया लेकिन हम घरों में कैद हो गए।

चला मुसाफ़िर "मास्क" बांधे
डर से थर-थर कांपे..
कुछ कहने का साहस नही अब उसमें..
भूख से आंते सिकुड़ गई..
जेब खाली हो गई..
धंधा बंद हो गया..
हर बात का डर..
उसमें समा गया..।
भिखारी सी उसकी हालत हो गई..
चिंता में दिमागी बुखार हो गया..
टीवी पर मौतों का आंकड़ा देख..
उसकी घिग्घी बंध गई..।
मुहँ का निवाला..
"मास्क"पर अटक गया..।

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