मांगलिक दोष......!!


धूप में मुरझाता, बारिश में भीगता प्रेम
बालकनी में खड़ा हो, वक्त की सुइयां गिनता प्रेम
तेज आवाज़ में संगीत सुनता, हल्के-हल्के मुस्कुराता प्रेम।

ऐसा ही प्रेम था सुरभि और सौरभ का। दोनों के नाम भी बहुत मिलते थे, और जाती भी एक ही थी।
कोई रुकावट नहीं थी उनकी शादी में बस एक रुकावट के सिवाय।
ज्योतिष की!
ज्योतिष के अनुसार सुरभि सादी, और सौरभ मांगलिक था।
मांगलिक मतलब तेज-तर्रार, गुस्से वाला, मनमानी करने वाला। जिसके साथ सुरभि का निबाह मुश्किल था। पंडित जी ने बताया था। बस तब से मुश्किल आन पड़ी थी। सुरभि के घर वाले ये शादी नहीं करना चाहते थे। पर सुरभि अड़ी थी शादी करूँगी तो सौरभ से वरना शादी ही नहीं करूंगी।

उधर सौरभ के घर वाले भी किसी मांगलिक लड़की की खोज कर रहे थे। क्योंकि उनके पंडित जी ने बताया था अगर लड़की भी मांगलिक होगी तभी ये शादी टिकेगी वरना नहीं। यहाँ सौरभ भी अड़ा था शादी करूंगा तो सुरभि से ही वरना नहीं।

दोनों के घर वाले बहुत परेशान थे इन दोनों की जिद्द और दोनो के प्यार से।
एक दिन पंडित जी ने सौरभ के घर वालों को एक सुझाव दिया कि आप लड़के की शादी एक भैस या बकरी से करा दे तो ये मांगलिक होने का दोष ना के बराबर हो जाएगा। और फिर आप लोग इसकी शादी इसकी मर्जी की लड़की से कर सकते है।

जब सौरभ को ये बात पता चली तो वो बहुत हँसा की मेरी शादी आप लोग बकरी या भैस से करेंगे तो आपके घर का काम कौन करेगा। सारे घर मे फिर गोबर ही गोबर मिलेगा।
वो हँस तो रहा था, पर मन ही मन बहुत परेशान भी हो रहा था। क्योंकि उसके घर वाले पंडितजी के पक्के भक्त थे।

तभी सौरभ को एक उपाय सूझता है, वो उसे आजमाने पंडित जी के पास चल पड़ता है। वो पंडित जी से पूछता है, पंडितजी आपके बेटे का ससुराल कहाँ है।
'क्यों क्या हुआ सौरभ बेटा?' कुछ नहीं पंडितजी मैं तो बस ये पता लगाने आया था कि आपकी बहु किस खानदान की है।
इतना बोलते ही पंडितजी सदमे में आ गए और सारा माजरा समझ गए। क्योंकि उनके बेटे ने एक दूसरी कास्ट की लड़की से भाग कर शादी कर ली थी।
ये बात पंडितजी ने जगहँसाई के कारण दबा दी थी।

सौरभ ने पंडितजी जी दुखती रग पर हाथ रख दिया था। पंडितजी अब अपने बेटे में खो गए थे।
उनका सौरभ पर से ध्यान हट गया था।
बेटा तुम जिससे मन करे शादी करो मुझे भला क्या एतराज हो सकता है। ये मांगलिक दोष तो अच्छे नसीब और व्यवहार से खुद ही मिट जाता है।
ये तो हम यजमानों को बढ़ा चढ़ा कर सब बताते है।
अच्छी दान-दक्षिणा के लिए।
तुम चिंता मत करो मैं खुद तुम्हारे परिवार वालों को इस शादी के लिए राजी कर लूंगा।
तुम बस मेरा मेरी इज्ज़त ख़्याल रखना बेटा।
आप चिंता न करे पंडितजी मैं भी आपका पूरा ख़्याल रखूंगा।


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