तू जलता सूरज....मैं नर्म मखमली


मैं गीत उदासी ले लिखती हूँ,
तू हँस कर पढ़ना।
मेरे लबों पर अपने लब
मुस्कुराकर रखना।

तू आवारा बादल
मेरे शहर में जमकर बरसना।
मेरी गली में रुककर
बाढ़ बन, मुझे बहा ले जाना।

तू जलता सूरज
मैं मुलायम मखमल,
तू मुझे बरखा के इंद्रधनुष 
के हवाले कर,
मेरी आगोश में चमकना।

तू खजुराहो सा
मैं अजंता एलोरा सी
तू मुझे संस्कृत में
प्रेमालाप करना सीखा देना।
तू मुझे अंग्रेजी में
शिमला की बर्फ की
कहानी सुना देना।

तू मथुरा का पेड़ा
मैं राजस्थान की कचोरी
तू मुझको कलकत्ता का
रसगुल्ला खिला देना।

तू दस्तक, मैं बंद किवाड़ों सी
तू शारजहां, मैं मुमताज सी
मुझको अपने महल में
हिफाज़त से अपनी आंखों के
सामने रखना।

तू मेरा सोना पिया
मैं तेरी बुलबुल
तू मुझको सोहनी बना देना
खुद मेरा महिवाल बन जाना।

सुन~~~
तेरे आने से मेरा दिन होता है।
जैसे सूरज के आने से उजाला होता है।
तेरे जाने से मेरा मन रोता है,
जैसे अमावश की रात में
चाँद छुपकर रोता है।

मेरी कविताएँ बहुत कटीली है,
देख कहीं तेरा कुर्ता न अटक जाए,
मेरे बालों में तेरा बटन न टंग जाए।

सुन~~~
तू मेरा आकाश मैं तेरी धरती
मेरी चहुं दिशाओं में तू
मेरे हर राग-विराग में तू
मेरी स्मृति में भी सिर्फ तू!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उस पार जाऊँ कैसे....!!!

प्यार के रूप अनेक

कौन किससे ज्यादा प्यार करता है??