सच और झूठ

क्या सच क्या झूठ
हर खेल में सय और मात है।
शतरंज के खेल सी जिंदगी
स्पर्धा में जीवन खाक है।
बड़ी-बड़ी आखों में भी
प्राचीन नदी का वास है।
ऊंची आवाज में झूठ
नीची आवाज में सच
खुशहाली का अकाल
जिंदगी दो धारी तलवार है।
सच के बगल में झूठ खड़ा
प्रमाण की क्या आवश्यकता है।
खोटे सिक्के सा झूठ
कठिन सच के सामने
गिड़गिड़ाता सा खड़ा है।
घोर आश्चर्य 
झूठ ने स्वांग रचाया
फैसले में....
सच ने साक्ष्य जुटाया
झूठ झिड़की के साथ हारा है।
सच ने दौड़कर खुद को 
बांहो का हार पहनाया है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उस पार जाऊँ कैसे....!!!

प्यार के रूप अनेक

कौन किससे ज्यादा प्यार करता है??