हृदय की ऊर्जा

 

प्रेम हर हृदय की मांग है.....!


प्रेम में एक शक्ति एक ऊर्जा होती है।

प्रेम खुशी का एक नायाब तोहफ़ा है।

प्रेम में हर रंग मुस्कुराता

हर अंग सक्रिय हो जाता है।


प्रेम......


सुनों ~~ तुम मेरे मन को बहुत भाते हो,

मेरे निरीह मन की आस, विश्वस हो तुम!


मेरी पलकों पर लगे काजल में

तुम समाये हो

जैसे चांदनी रात में

रात समायी है।


तुम मेरे मन का अनिवार्य हिस्सा हो,

मेरी हर मुद्रा में तुम विचरण करते हो।

जैसे आकाश में सूर्य विचरण करता है

हर दिशा में।


तुम मेरा केंद्रबिंदु हो

जिसके इर्द- गिर्द मैं

मंडराती रहती हूं

किसी ग्रह-उपग्रह की भाती सदैव।


तुम मेरी शुद्धता हो,

मेरा आत्मबल, मेरा अभिमान हो,

मेरे जीवन का 

सबसे उज्वल समय हो।


तुम हीरा हो

मैं स्वर्ण

स्वर्ण की क़ीमत हीरे से

कई गुणा बढ़ जाती है।

बस ऐसे ही 

तुम संग मेरी क़ीमत बढ़ गई है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उस पार जाऊँ कैसे....!!!

पीड़ा...........!!!

एक हार से मन का सारा डर निकल जाता है.....!!