ये कौन सा ज्वालामुखी फूट पड़ा...!!
इक आग मेरे सीने में टहल रही है...
इक लपट मेरे सीने से निकल रही है...
कुछ तो हुआ है...
यूं ही ये आग मेरे सीने में नहीं जल रही है...।
मुहँ से लावा निकल रहा है...
कोई चुभन बे बर्दास्त हो गई है...।
कुछ तो हुआ है...
जो ये आग ज्वालामुखी सी फूट पड़ी है...।
चोटी तक आग की लपटें उठ रही है...
गगन तक अदृश्य हो गया है...
बस काला धुंआ ही काला धुंआ हर तरफ
नज़र आ रहा है...।
बादल तक आश्चर्यचकित है...
ये कौन सा ज्वालामुखी फूट पड़ा है...!!
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