छोटी कविताएँ
दया.... ( sympathy )
ये शब्द शूल सा चुभता है
क्योंकि दया तो आश्रितों पर की जाती है।
जो किसी पर आश्रित है, निर्भर है।
दया शब्द भीख के समान नजर आता है।
अगर किसी को अपना समझते है।
दया नहीं कीजिये, उसका दोस्त बन उसकी मदद कीजिये !!
🙏🙏
द्वंद.....
सबसे बड़ा द्वंद हम अपनेआप से करते है।
अपने डर से करते है।
अपने असुरक्षा से करते है।
अपने गुमान से करते है।
अपने अहंकार के वशिभूत होकर !!
संतुलन....
घास या मिट्टी का नर्म मैदान हो या ठोस सतह
अपने पैरों को घसीटते हुए नहीं चलती मैं,
आक्रामक हूँ और संतुलित भी हूँ,
गुरुत्वाकर्षण के नियम की तरह !!
जिंदगी....
निडर सी जिंदगी को इल्ज़ाम से डराया जाता है।
चुप जिंदगी को ज़मीं में सुलाया जाता है
बोलती जिंदगी को हवा में उड़ाया जाता है।
कठोर नियम जीवन के
रीढ़ की हड्ड़ी से,
ये हड्ड़ी झुक भी जाये तो
चुपचाप जीवन जिया जाता है !!
सारा जीवन खुली आँखों में
खुद से युद्ध करते-करते
अतीत में झांकते
वर्तमान में रोते
चला जाता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें