मनुष्य की वर्तमान स्थिति
मनुष्य की वर्तमान स्थिति का जिम्मेदार कौन?
उसका भूत....और समय से किया समझौता है।
भावनात्मक रूप से सहज..
हिमखण्डों से टकरा-टकरा
खुद पे ही प्रहार कर..
निर्धारित समय से पहले ही बूढ़ा हो रहा है।
अनेकों रहस्यों में पुता..
भविष्य को तराशने में लगा..
आज में कुंठित हो रहा है।
माटी का मानुस..
माटी में मिलने से पहले..
माटी की धरा को..
स्वयं में स्वर्ण सा उतार लेने को आतुर..
विर्तमान को देखो कैसे..
माटी किया जा रहा है!!
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