प्रतीक्षा

 


प्रतीक्षा....

प्रेम में सबसे अधिक प्रतीक्षा होती है
जैसे बारिश में प्रतीक्षा होती है इंद्रधनुष की।
रात को प्रतीक्षा होती है पूर्णिमा की।
दुःख को प्रतीक्षा होती है सुख की।
ठीक ऐसे ही प्रेम प्रतीक्षा होती है,
दो से एक होने की।

प्रतीक्षा....

चूजों को प्रतीक्षा थी,
माँ कब चोंच में दाना दबाकर लाएगी।
झींगुरों को प्रतीक्षा थी,
कब सुरंग खोदी जाएगी।
कली को प्रतीक्षा थी
कब फूलों पर भंवरे मंडराऐंगे।
नदिया को प्रतीक्षा थी,
कब सागर की गोद में समाएगी।
कौन सिखाता है इनको इतनी प्रतीक्षा करना
ये सब प्रेम के वशीभूत होकर प्रतीक्षा करती है बस।

प्रतीक्षा....

हर प्रश्न को उत्तर की प्रतीक्षा होती है।

जीवन को खुशहाली की प्रतीक्षा होती है।
अल्हड़पन को जिम्मेदारी की प्रतीक्षा होती है।
हर कहानी को पूरी होने की प्रतीक्षा होती है।
जैसे धूप को सांझ की प्रतीक्षा होती है और
सांझ को रात की, और फिर रात को सुबह की
सूर्य किरणों की प्रतीक्षा होती है।
हर दिशा में फैलकर मुस्कुराने के लिए।।

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