मौत
कितना अच्छा होता जो तुम आ जाती रात
मिल जाता शायद कुछ चैन मेरी रूह को
पर तुम नही आई।
पूरी रात मैंने तुम्हारा इंतज़ार किया।
लेकिन तुम नहीं आई।
यू ही पूरी रात गुजर गई,
और फिर एक सुबह बिन बुलाए मुझे रुलाने आ गई।
अब कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।
बस हर पल मौत तुम्हारा इंतज़ार रहता है।
ये जो बेतरतीब बीहड़ सी जिंदगी है न
यहाँ हर मोड़ पर काँटों भरी बाड़ लगी है।
जिससे बच पाना नामुमकिन सा है।
कैसे छलनी हो गया है मेरा हृदय
जहाँ न कोई आस बची है न कोई उम्मीद
मौत अब बस तू अपनी सी लगती है।
चल आ जा जल्दी से और मुझे अपने गले से लगा ले
जिंदगी में खुशियों की तमाम कोशिशें अब धूमिल
सी हो गयी है।
हर रास्ता बंद, और मंजिले खो गयी है।
सफ़र जिंदगी का अब कटता नहीं, वक़्त गुजरता नहीं
आँखों में काली स्याही से भरे पन्ने आँखों को मटमैला
लाल करते है।
और यु ही डबडबाई आँखों में
सागर की लहरें ला छोड़ देते है।
ये लहरें इतनी नमकीन है कि
मेरा पूरा बदन खारा हो गया है।
मौत तू आयेगी जरूर पर तड़पा तड़पा कर है न
तू क्यूँ इतने नख़रे दिखा रही है।
चल आ भी जा और नख़रे न दिखा।
मुझे अपने साथ ले जा
मेरा वादा है तुझसे
मैं तुझे परेशान नहीं करुँगी,
तू जिस पल आयेगी
मैं उसी पल चल पढूंगी तेरे साथ
खुशी खुशी।
बस तू आ जा जल्दी से
अब और इंतज़ार नहीं होता मुझसे ।
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