नया रंग
सुनों~~
तुम मेरा वही नया रंग हो
जो अभी-अभी सर्द मौसम ने ओढा है,
गुलदावदी का।
हज़ारे ने ओढा है,
ताजगी का।
नील गगन ने ओढा है,
नर्म धूप का।
ये नया रंग कितना सुंदर है।
सुनों~~सुनों न~~
पुरानी धरा पर एक नया रंग खिला है,
तुम्हारे मेरे प्रेम का।
बनमाला की थोड़ी पर जैसे गुदा हो,
दो हंसों का जोड़ा।
सुनों तुम ये मनभावन, मदमस्त,
कुदरती नज़ारे देख रहे हो न
ये सब प्रेम की सुगंधित तस्वीरे है।
फूलों के गाल पर लिखी सुर्ख तहरीरें है।
ताजे गुलाब पर पड़ी
ओस की बूंदे है।
सुनो सुनों न~~
शाल लपेटे सर्दियां आ गई है।
तुम ऊन ला दो न
मुझे तुम्हारे लिए स्वेटर बुनना है...
हर रंग का धागा इसमें लपेटना है...
हर फूल इस पर खिलाना है...
एक सुनहरा रिश्ता इसमें जोड़ना है...
तुम्हारे मेरे प्रेम का।
नर्म पत्तियों पर जैसे
सुनहरी धूप खिल रही हो,
इस सर्द मौसम में।
इस गुलाबी मौसम में।
इस प्रेम मौसम में।
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