विचारों का दंगल

 


विचारों का दंगल

कितने का दंगल कभी स्याह तो कभी प्रेममय होता है,

तो कभी बहुत साधारण। विचार सकारात्मक और नकारात्मक दोनों से गुंथे होते है। 

विचार आपके व्यक्तित्व का प्रदर्शन तो करते ही है साथ ही साथ आपकी संवेदना को भी व्यक्त करते है।

कुछ खोने और पाने के बीच होता है "द्वंद" वो द्वंद आपको असहाय करता है, पर यक़ीन माने इस द्वंद से ही आपमें साहस भरता है मौजूदा स्थिति से लड़ने की ताकत मिलती है। आप नहीं जानते आपमें कितनी संवेदना भरी है आप कितने साहसी है आप खूबियों से भरपूर है, तभी तो इतनी उलझन है। 

जिसमे संवेदना नहीं होती वो बस दूसरों के हिसाब से चलता है। उसका खुद का कोई व्यक्तित्व नहीं होता है।

डर हमेशा भविष्य को लेकर होता है। भूत तो बीत चुका है वो बस विचारों में उलझाता है।

विचार शब्दों से आते है। बिना शब्द के विचार नहीं आ सकते है।

नकारात्मक विचार हमेशा ज्यादा आते है हम यही सोचते है और ऐसा होता भी है।

पर विचार तो विचार है आते जाते रहते है। हमारे मस्तिष्क में इसका निर्माण होता रहता है। यही एक स्वस्थ व्यक्ति की पहचान भी है।


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