गेंदा फूल

 


सुनों ऐ गेंदा फूल 

गुलशनका कारोबार अब चल निकलेगा

बसंती बयार अब हर तरफ गुल महकएगी

पलाश दहकेगा, अमराई चटकेगी

फागुन रंग उड़ेगी

हर मुख पर लाली छाएगी

हर बदन में प्रेमल सितार बजेगी

इस फागुन ये बसंती बयार

खूब झूमेगी।


सुनों ऐ गेंदा फूल....


इंतजार रंगों का जाना पहचाना सा है।

स्वयं की देह पर प्रेम प्रेमी का देख

रंगों में सजने की होड़ है।

गौरवर्ण पर सब इंकित हो रहा है।

लाल रंग सहज ही सब पर हावी हो रहा है।

प्रेमी का प्रेम आकाश सा विस्तृत

इंद्रधनुष सा खिल रहा है।

ये देख रंगों का तापमान बढ़ गया है।

ऐ गेंदा फूल।

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