सुनों ऐ स्त्री!!
महिला दिवस क्या होता है??
सिर्फ एक ही दिन ये सम्मान क्यों होता है??
बच्ची के जन्मते ही कुछ की आँखे नम क्यों होती है??
ब्याह होते ही वो पराई क्यों हो जाती है??
माँ बनते ही प्रौढा क्यों हो जाती है??
वृद्धा होते-होते घर का कबाड़ क्यों हो जाती है??
अब भी वो पुरूषों के बराबर क्यों नहीं??
सब चुप क्यों हो!!
कुछ तो बोलो!!
सुनों ऐ स्त्री~~
मायने नहीं रखता तुम गोरी हो या सांवली हो,
मायने रखता है तुम्हारा जज्बा।
मायने नहीं रखता तुम्हारा परिवार कितना रूढ़िवादी है,
मायने रखता है तुम्हारा हौसला।
मायने नहीं रखता तुम्हारी राह में कितनी बाधाएं है,
मायने रखता है तुम इन बाधाओं के पार कैसे जाती हो।
समझी न तुम!!
ऐ स्त्री!!
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