रिश्वत
कलेक्टर हो या एक्टर सब रिश्वत के नुमाइंदे है
घूस की पीढ़ी के ये रक्षक,सबके सामने ईमादारी के पुतले
पीछे बेईमानी में कलाकार है।
कलेक्टर ने पेट्रोल पंप के मालिक की एक और पेट्रोल पंप के लिए लीज कैंसिल कर दी थी। तो उसने एनओसी जारी करने का आवेदन किया तो कलेक्टर के पीए ने 2 लाख की डिमांड कर दी। पेट्रोल पंप के मालिक ने एसीबी में शिकायत कर दी।
फोन ट्रैप हुआ खुफिया जांच हुई। और कलेक्टर का पीए पैसे लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया, तो उसने एक 1 लाख रुपये वापस करते हुए ईमानदार बनने का नाटक करते हुए कहा, "हम ईमानदारी से काम करते है नाजायज पैसा नहीं लेते"।
जाँच में सामने आया कलेक्टर भी पीए से मिला हुआ था। दोनों रिश्वत का पैसा आधा-आधा करते थे।
अब कलेक्टर तो किसी तरह बच गया क्योंकि वो सामने से पैसा नहीं ले रहा था। पीए फंस गया गिरफ्तार हुआ वो अलग। लेकिन पेट्रोल पंप के मालिक का नया पेट्रोल पंप अधर में लटक गया।
अब नया पीए भी अपने हिसाब से रिश्वत मांग रहा है।
अब मजबूरी में वो रिश्वत दे भी रहा है। आखिर उसने ये पैसा भी तो कम पेट्रोल और मिलावटी पेट्रोल भर-भर कर कमाया है।
बेईमानी रुके तो कैसे रुके सब एक से बढ़कर एक है।
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