उपहास

 

उपहास

अपने पति से ज्यादा पढ़ी-लिखी स्मिता की शादी एक कम पढ़े-लिखे व्यक्ति से हो जाती है।
स्मिता को इससे कोई एतराज नहीं होता। वो हमेशा अपने पति का साथ देती और उनकी बातें मानती।
पर स्मिता का पति हमेशा उसकी बात काटता और उसका मजाक उड़ाता था।
उसके मायके वालों को भी भला-बुरा कहता और उनका भी मजाक उड़ाता था।
स्मिता सब सुन लेती थी, ज्यादा कुछ नहीं कहती थी अपने पति से कि आपने उनका या मेरा मजाक क्यों उड़ाया। उसे लगता धीरे-धीरे वो सुधर जाएगा और उसका मजाक उड़ाना बंद कर देगा।
लेकिन उसके पति की ये आदत धीरे-धीरे कम होने की जगह बढ़ती ही गई। अब तो वो बिना बात भी उसका मजाक उड़ाने या तानें देने से बाज नहीं आता था।
वो उसका मजाक उड़ा खुद को बहुत महान समझता था।

रोज की तरह आज सुबह स्मिता चाय और अख़बार लेकर अपने पति के पास आकर बेड पर ही बैठ जाती है। और चाय पीती हुई अख़बार पढ़ने लग जाती है।
एक डॉक्टर की मौत की खबर पढ़ कर वो बोलती है। देखो इसकी भी मौत हो गई कोरोना से।
स्मिता की बात सुन कर उसका पति बोलता है क्यों तू इसे जानती थी क्या?
स्मिता बोली क्या मतलब?
उसके पति ने कहा क्या पता तू उसे जानती हो, तेरे अंदर दिमाग तो कूट-कूट कर भरा है।
मैं ठहरा अनपढ़ वरना तू मुझसे शादी ही क्यों करती।
ये सुन स्मिता को आज बहुत गुस्सा आ जाता है। और वो अपने पति से बोलती है।  हाँ!  सही कहा आपने, मेरी इस  एक गलती ने मेरी जिंदगी को नर्क बना दिया है।
ये सुनते ही उसके पति का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। और वो स्मिता को खूब भला-बुरा कहने लग जाता है सुबह-सुबह ही।
स्मिता मन ही मन सोचने लगी ये कैसा आदमी है जो हर बात में मुझे नीचा दिखाता है।

क्या हर आदमी ऐसा ही होते है?
या सिर्फ कम-पढ़े लिखे आदमी ही ऐसे होते है?

स्मिता अपने मायके भी नहीं लौट सकती थी क्योंकि
उन लोगों की परिस्थिति ऐसी नहीं थी कि स्मिता वहाँ जाकर रह लेती।

वो सोचती रह जाती है इससे अच्छा तो मेरे घर वाले मुझे कुंए में धकेल देते, गंवार के पल्ले बांध मेरा जीवन नर्क तो नहीं करते।
और वो चुपचाप आँखों में आँसू लिए अख़बार में नोकरी वाले विज्ञापन देखने लग जाती है।।

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