तुम्हे कसम है हमारी...!!

 


चोट लगती है दिल पर कभी तो क्या हुआ,

तुम उदास मत होना।

गज़ल, चुटकुलों से दिल बहलाना।

अपना दर्द किसी अपने से बांट लेना।

अपने शौक जिंदा रखना।

आंखों में नमी को जगह मत देना।

बरसात में भीग जाना।

आकाश से गले मिल लेना।

खुशियों की राह में जो बने रोड़ा,

उसे खाई में धकेल देना।

कोई कुछ भी कहे सीने पर पत्थर न रखना।

जीवन की धूप तो यूं ही सुलगती है,

उसे काली बदली से मिलवा देना

अपना अंतर्मन दुखी मत करना,

मौसम का जोड़-घटाव समझ 

उसे जमीं में दफ़ना देना तुम।


सुनो....

तुम तो बगीचे की शान हो...

गुड़हल की मुस्कान हो...

पलाश की जान हो...

गुलाब से महकते...

चंपा-चमेली की...

सादगी से पूर्ण हो।


सुनो....

दिल मे बरसात हुई हो तो...

आंखों से बाहर बाहा देना।

एक पन्ना लिख कर...

किसी पेड़ के नीचे रख आना।

ज़ख्मों की सतहों मेंखुद को मत दबाना तुम।

फिर कोई यादों की गठरी...

खुली है शायद।

अधूरे वाक्य कंठें...

जमे है शायद।

चिर-परिचित घाव...

हरे हुए है शायद।

तुम काली रात में...

खुद को न रुलाना 

कसम है तुम्हें हमारी...!!


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