सकारात्मक विचार....


स्पष्ट देखने के लिए पानी का स्थिर होना जरूरी है।
इसी तरह जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक
विचार और मन का स्थिर होना जरूरी है।
हमें अपने मन की गहराई में उतरकर ये सोचना होगा की
क्या हम वाकई ईश्वर द्वारा प्रदान की गईं जिंदगी को ढंग
से जी रहे है, या नहीं ये सवाल हमें खुद से करना है। किसी
और से नहीं। आप सोच में पड़ जायेंगे आपको लगेगा की
हमनें बहुत कुछ खोया है जैसी जिंदगी की कल्पना हमनें
की थी वो तो हमें मिली ही नहीं ये बहुत कम लोग सोच
पायेंगे की जो मिला वो भी बहुतो के नसीब मे नहीं है।
हमारी विचार शैली अजीब है। जो मिलता है उसमें खुश नही
होते जो नहीं मिलता उसके पीछे भागते है। जो हमारे नसीब
में नही है वो हमें नहीं मिल सकता ये मनाने को हम तैयार
ही नही होते है। 
हमे अपने जीवन में बस कर्म करना है फल अपने आप कर्म
के अनुसार मिल जाता है। नसीब बहुत कुछ है पर बिना कर्म
के जो नसीब में लिखा है वो भी नही मिल सकता।
हमे खराब परिस्थितियों में खुद से संवाद करना आना चाहिए
फिर हम खराब से खराब स्थिति में भी जीवन के सूत्र ढूंढ़ सकते है। हमारे अधिकतर प्रश्नो के उत्तर हमारे अंदर ही छिपे है। हमें बस हिम्मत से गहराई में उतर खुद से तर्क-वितर्क
कर अपने सवालों के हल ढूंढने है।
क्योंकी कई बार हमनें मजबूरियों में खुद को ढाला होता है।
हमें अपनेआप संतुष्टि मिल जायेगी की जो हुआ ठीक हुआ
ज्यादा रोना-धोना व्यर्थ है। अभी भी बहुत वक्त पड़ा है
बहुत कुछ किया जा सकता है। बस एक उम्र बीती है
एक उम्र अभी भी पड़ी है।
जब तक जीवन है हमें तैरते रहना है। जहाँ रुक गए डूबना
पक्का है।
निराशा, भय, अवसाद को हम जीवन का सत्य मान लेते है।
ये जीवन का सबसे बड़ा भय है। हमें इससे बचना चाहिए
खुद पर विश्वास रखना चहिये कमजोर नही पड़ना चाहिए। 
अगर कमजोर पड़े तो रचनात्मक कार्यो में लग जाना सर्वश्रेठ है। धूल का गुब्बारा खुद ज़मीन पर बैठ जायेगा
हमारा मन-मस्तिष्क शांत हो जायेगा।
वक्त कभी एक सा नही रहता हर रात के बाद सुबह और 
सुबह के बाद रात होती ही है ये प्रकृती का नियम है।
हर चीज टूटने के बाद नया आकार लेती है। 
जैसे धरती के दरकने पर ही नई कोपलें फूटती है,
बादल के टूटने पर ही बारिश होती है,
इंसान भी टूटने के बाद ही नये जीवन की तलाश में लगता है।
जिंदगी के मायने समझता है।
सफलता भी संघर्षों के बाद ही कदम चूमती है !!!






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