लघुकथाएं


ख़लील जिब्रान के मजेदार क़िस्से पढ़िए।
लघुकथा :  पुल

एंटीओक शहर के एक भाग को दूसरे से जोड़ने के लिए पुल बनाया गया। इसके लिए प्रयोग में लाए पत्थर खच्चरों की पीठ पर लादकर लाए गए थे। पुल के तैयार होते ही एक स्तम्भ पर खोदकर लिख दिया गया था,
'सम्राट एंटीओक्स द्वितीय द्वारा निर्मित।'
सभी लोग इस पुल द्वारा आसी नदी को पार करते थे।
एक शाम एक युवक ने, जिसे लोग सनकी कहते थे,
नीचे उतरकर स्तम्भ पर खुदे संदेश को चारकोल से पोत दिया और उस पर लिख दिया, 'इस पुल के लिए पत्थर पहाड़ो से खच्चरों द्वारा लाया गया। यह पुल नहीं, उन खच्चरों की पीठ है, जो सही मायनों में इस पुल की निर्माता है।'
लोगों ने इसे पढा तो कुछ हंसने लगे, कुछ को आश्चर्य हुआ और कुछ ने कहा, 'अच्छा....तो ये उस सनकी लड़के का काम है।'  तभी एक खच्चर ने दूसरे से हंसते हुए कहा, 'तुम्हे याद है कितनी कठिनाई से हमने इन भारी-भरकम पत्थरों को ढोया था? लेकिन आज तक लोग यही कहते हैं कि इस पुल का निर्माण सम्राट
एंटीओक्स ने कराया था।'
.......
लघुकथा : कविता

एथेंस के राजमार्ग पर दो कवियों की भेंट हो गई।
मिलकर दोनों को खुशी हुई। एक कवि ने दूसरे से पूछा,
'इधर नया क्या लिखा है?'
दूसरे कवि ने गर्व से कहा, 'मैंने अभी हाल ही में एक कविता लिखी है, जो मेरी सभी रचनाओं में श्रेष्ठ है।
मुझे लगता है यह यूनान में लिखी गई सभी कविताओं से श्रेष्ठ है। यह कविता मेरे गुरु की स्तुति में लिखी गई है।'
तब उसने कुर्ते से पांडुलिपी निकालते हुए कहा, 'अरे देखो, यह तो मेरे पास ही है। इसे सुनाकर मुझे प्रसन्नता होगी। चलो, उस पेड़ की छाया में बैठते हैं।' फिर कवि ने अपनी रचना पढ़ी, जो काफ़ी लम्बी थी।
दूसरे ने नम्रतापूर्वक प्रतिक्रिया दी, 'यह महान रचना है,
कालजयी रचना है। इससे आपको बहुत प्रसिद्धि मिलेगी।'
पहले कवि ने सपाट स्वर में पूछा, 'तुम आजकल क्या लिख रहे हो?'
दूसरे ने उत्तर दिया, 'बहुत थोड़ा लिखा है मैंने। केवल आठ पंक्तियां- एक बाग में खेल रहे बच्चे की स्मृति में।
फिर उसने अपनी रचना सुनाई।
पहले कवि ने कहा, 'ठीक ही है, ज्यादा बुरी तो नहीं है।'
आज दो हजार हज़ार वर्ष बीत जाने पर भी उस कविता की आठ पंक्तियां प्रत्येक भाषा में बड़े प्रेम से पढ़ी जाती है। दूसरे कवि की रचना शताब्दियों से पुस्तकालयों की अलमारियों में सुरक्षित अवश्य रही है, पर उसे कोई नहीं पढ़ता।

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