प्रतिक्षण बदलते विचार.......

क्षितिज पर फैली ये सूर्य ऊष्मा,
देह की दीवार को भी जला देती है।
ईंट-पत्थर के मकां में
मन दफना देती है।
आंखों से टपकते स्वप्न
ना जाने कहाँ खो जाते है।
भटकते विचार
अक्सर पथ भ्रमित हो जाते है।
चिंता की घड़ी में आया उन्माद
गहरी खाई में धकेल देता है।
जैसे अमावश के आंगन में
कोई आँसुओ का सैलाब बह रहा हो,
और किसी को पता ही न चले।
अधूरी पंक्तियों में
ये मन पूरा कहाँ हो पाता है।
प्रतिक्षण बदलते विचार
हर क्षण जाने कैसे अलग रंग अलग ढंग
में ढल जाते है।
कभी संवर जाते है तो
कभी बिखर जाते है!


This sun heat spread over the horizon,

Also burns the body wall.

In a brick-stone mausoleum

The mind is buried.

Dripping eyes

Do not know where is lost.

Wandering thoughts

Often the path gets confused.

Frenzy comes in the moment of worry

Pushes deep into the abyss.

Like in Amavash's courtyard

There is a flood of tears,

And nobody came to know.

In an incomplete state

This whole mind gets mixed up.

Keep thoughts

Know how different colors are in every moment

. Lentils have to go.)

Sometimes if ever

Have to go sometime.


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