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ओ मेरे साथी...... ओ मेरे हमदम.......

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ओ मेरे साथी, मेरे मार्गदर्शक मेरे हमदम, मेरे हमसफ़र तुम्हारी कही अनकही सारी बातें मैंने चुपके से तुम्हारी आँखों में पढ़ ली है। कितना दर्द छिपा है। तुम्हारी स्वप्नीली आँखों में कितना रहस्य भरा है। तुम्हारी इन गहरी आँखों में तुम्हारे चेहरे पर एक उदासी की लकीर भी उभरी हुई है। जो तुमने छिपा रखी है। दुनिया से तुम्हारे होंठो में दबी है। तुम्हारी बातें पर तुम्हारे होंठो से निकलती है। सबको खुश करने वाली बातें तुम मुझसे भी अपने दर्द छिपाते हो और सोचते हो मुझे कुछ पता नहीं चलेगा। क्यों? तुम्हे रोज दिल से पढ़ती हूँ..... तुम्हारा चेहरा मेरी नज़रो में समा चुका है। सच कहूँ..... तुम्हारी सारी कही अनकही बातें मेरे रोम/रोम में बसी है। तुम मेरे हृदय में बसते हो, जिस्म में रक्त से बहते हो, सांसो में हवा से घुलते हो, तुम्हारी धड़कने मेरी धड़कनों को, रोज चीर कर निकलती है। तुम्हारी आहटों पे मेरा दम निकलता है। तुम्हारी बातों से मेरा मन पिघलता है। तुम्हारी आदतों में मेरा हर रंग मिलता है। ओ मेरे साथी, ओ मेरे हमदम, मुझसे न छिपाया कर अपना गम, मुझसे न छिपाया कर अपना ज़ख्म, मुझे न रुलाया कर ...

खुबसूरत अहसास.......दोस्ती🍂🍃

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हजार शिकवे हजार शिकायतें.........🍂🍃 जिंदगी में........🍂🍃 हर कदम पर कांटे राहो में........🍂🍃 पर सब गायब तेरी दोस्ती में........🍂🍃 खुबसूरत अहसास........🍂🍃 खुबसूरत लम्हे.......🍂🍃 यू ही बरकरार रहे.......🍂🍃 तेरी दोस्ती में.......🍂🍃 कांटो की गोद में गुलाब.......🍂🍃 नींदों की गोद में ख़्वाब........🍂🍃 आसमां की गोद में सितारें,🍂🍃 ज़मी की गोद में माटी की सोंधी महक.......🍂🍃 सब परवान चढ़े तेरी दोस्ती में.......🍂🍃 साफ दिल.....नेक इरादे........🍂🍃 सब दोस्ती की पहचान........🍂🍃 और हर पहचान में........🍂🍃 तेरी दोस्ती फले फुले........🍂🍃 खूबसूरत अहसास........🍂🍃 खुबसूरत लम्हे........🍂🍃 सबकी गुज़ारिश है........🍂🍃 जो चैन दे आराम दे......🍂🍃 रूह को सुकून दे.......🍂🍃 वो तेरी दोस्ती.......🍂🍃 जो मुस्कुराकर.......🍂🍃 भीड़ में हाथ थाम ले........🍂🍃 वो सुकून वो आराम.......🍂🍃 तेरी दोस्ती में......!!!🍂🍃

इंतज़ार मौत का........!!!!!

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कितना अच्छा होता जो तुम आ जाती रात मिल जाता शायद कुछ चैन मेरी रूह को पर तुम नही आई,  पूरी रात मैंने तुम्हारा इंतज़ार किया, लेकिन तुम नहीं आई, यू ही पूरी रात गुजर गई, और फिर एक सुबह बिन बुलाए मुझे रुलाने आ गई, अब कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। बस हर पल मौत तुम्हारा इंतज़ार रहता है। ये जो बेतरतीब बीहड़ सी जिंदगी है। न यहाँ हर मोड़ पर काँटों भरी बाड़ लगी है। जिससे बच पाना नामुमकिन सा है। कैसे छलनी हो गया है। मेरा हृदय जहाँ न कोई आस बची है। न कोई उम्मीद मौत अब बस तू अपनी सी लगती है। चल आ जा जल्दी से और मुझे अपने गले से लगा ले, जिंदगी में खुशियों की तमाम कोशिशें अब धूमिल सी हो गयी है। हर रास्ता बंद, और मंजिले खो गयी है। सफ़र जिंदगी का अब कटता नहीं, वक़्त गुजरता नहीं  आँखों में काली स्याही से भरे पन्ने आँखों को मटमैला लाल करते है। और यु ही डबडबाई आँखों में सागर की लहरें ला छोड़ देते है। ये लहरें इतनी नमकीन है। कि मेरा पूरा बदन खारा हो गया है। मौत तू आयेगी जरूर पर तड़पा तड़पा कर है। न तू क्यूँ इतने नख़रे दिखा रही है। चल आ भी जा और नख़रे न दिखा। ...

सफ़र जिंदगी का...........

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बदलते रिश्ते...... रोते हम....... खुद को कोसते रह जाते है। क्यूँ किया किसी पे यक़ी ये दुनिया यक़ी के लायक नहीं ये सोचते रह जाते है। पर सिवाय जाऱ/जाऱ रोने के कुछ नहीं कर सकते है। गलती हमारी होती है। तन्हाई के आलम में हम गैरों को अपना समझ बैठते है। इस काली/नीली रात में तकिये का कोना गीला। और चादर में सिसकियों की सीलन भरते है। एक पल में जिंदगी अमावश की अंधेरी रात में बदल जाती है। हम आकाश का टुकड़ा थामे छनती रात में खुदा से मौत की फ़रमाइश करते है। जो मौत न आये तो आँखों की सूजन में दफ़्न होते है। अश्क़ो के घूंट/घूंट में अपना कफ़न खुद सिते है। पर किसी से कुछ न कहते है। थमी/थमी सी सांसो में बर्फ के पहाड़ में सांसो के घूंट भरते है। अपने ताजा जिस्म को कभी मिट्टी में दफ़्न करते है। तो कभी सिलगती लकड़ियों संग जलाते है। खुद को कोसते रह जाते है। क्यूँ किया किसी पे यकीं ये सोच सोच अपनी ही रूह से बदला लेते है। हर दर्द का मरहम होता है। पर इस दर्द का कोई मरहम नहीं बस अश्क़ो की धारा में तिल/तिल मरते है। अपनी तमन्नाओं का गला घोंट रिश्वत की जिंदगी में रिवाज़ों का हक अदा करते ह...

कशमकश.............

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कशमकश........................... जीवन सफ़र में, जिस्म में रहा..... सांसो के भरोसे चला है। तू क्या पाया क्या खोया तूने इस सोच में वक़्त गवायां है। बदलते मौसमों सी, बदलती तेरी कहानियां धड़कनों में सिमटा अश्क़ो में बहा है। तू नंगे बदन कपड़ों में लिपटा रूह में बेहिसाब रोया है। तू हजार गलतियां तूने की हजार गलतियां ज़माने ने की ये सोच सोच कर जिस्म की सलवटों में दफ़्न हुआ है। तू उम्र के हर पड़ाव पर अकेला पड़ा है। तू ऐ बन्दे अब ये बता क्या पाया क्या खोया है। तूने बस सांसो की उलझन में सांसो के सहारे जिंदा रहा है। तू मंजिल की तलाश में बीहड़ रास्तों की भटकन में अब तक भटक रहा है। तू मोटे अश्क़ो को रुमाल में छिपा गैरों की महफ़िल में खुद को ढूंढ रहा है। तू सुबह से शाम/शाम से सुबह बस यू ही दिनों की गिनती बढ़ा रहा है। तू बोझील पलकों को ख़्वाबो के सहारे हर रात सुला रहा है। तू ये बन्दे अब ये बता क्या पाया क्या खोया तूने जीवन सफ़र में, बस जिस्म के रहा सांसो के भरोसे चला है। तू  !!!!!!

अहसास......💕💕💕

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चोरी की कलम में.....💕💕 आँसुओ की स्याही जो हमने भरी......💕💕 तो कतरा/कतरा ज़ख्म रिशा......💕💕 कोरे पन्नों पर.......💕💕 पर कुछ वक़्त बाद.......💕💕 दिल फूल सा हल्का मिला.......!!!💕💕 तेरे अहसास में मेरा अहसास यू मिला......💕💕 जैसे चाँद सितारों से भरी बारात में......💕💕 रात का ख़ामोश पहरा मिला......!!!💕💕 महोब्बत में.......💕💕 दर्द लेने का करार.....💕💕 इश्क़......💕💕 दर्द देने को बेकरार......💕💕 इश्क़.......💕💕 कभी मीठा.......💕💕 इश्क़.......💕💕 कभी खट्टा......💕💕 इश्क़.......💕💕 तन्हाई के आलम में यादें........💕💕 इश्क़........💕💕 मिलने पर शिकायती प्यार.......💕💕 इश्क़.......💕💕 अश्क़ो की धारा में बहता तकरार.......💕💕 इश्क़.......💕💕 बेपनाह महोब्बत में तड़पता........💕💕 इश्क़.........💕💕 हर ऋतुओं में.........💕💕 हर दर्द में, बढ़ता........💕💕 इश्क़........!!!💕💕 महोब्बत की इंतहा में......💕💕 तड़पता दर्द.......💕💕 एक अजीब अहसास........💕💕 एक लजीज अहसास........💕 एक/दूसरे के बंधन में.......💕💕 एक ...

तुम और मैं....... मैं और तुम

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तुम और मैं..... दो जिस्म एक जान, तुम बादल मैं कोहरा, तुम आसमां मैं बिजली, तुम्हारी यादों में मैं, मेरी यादों में तुम, रोज भटकते है। ख़्वाब बनकर, कभी धरातल के अहसास बनकर, तुम मेरी माटी में, समाये हो बीज बनकर। मैं तुम्हारे शून्य में, फैली हूँ। आग बनकर हवा में सुगंध बन, तुम मुझमें खोये हो। रात की चांदनी बन, मैं तुममें बसी हूँ। ये कैसी तड़प..... कैसी बेचैनी...... तेरी याद भर से, भीग जाती हूँ। सिर से पांव तक। तेरे बिना, मेरा नाम अधूरा, मेरी पहचान अधूरी। तेरा सम्मोहन, मेरी गहराई मिलकर बनते, एक इकाई। अंजान राहो पर, कदम से कदम मिला बढ़ रहे है। जिंदगी के सफ़र में। कभी//कभी सोचती हूँ, अगर तुम बिछड़ गये तो, मैं कैसे जी पाऊँगी। शायद नहीं जी पाऊँगी। बस आसमां में, चाँद के निकट, तारा बन जाऊँगी। फिर हर रोज़, तुम्हें निहारा करुँगी, तुमसे आंख मिचौली खेला करुँगी। एक अनकहा डर.... मुझे रोज रुलाता है। तेरे बिना अब मुझे.... जीना नहीं आता है। नहीं आता है !!!