जेवर
गिरवी पड़े जेवर की क़ीमत क्या है? बदन को सजा मन को छले उस जेवर की क़ीमत क्या है? वक्त के पांव में घुंघरू डाल वक्त को वेवक्त कर दे उस जेवर की क़ीमत क्या है? सरे बाजार डराए चारदीवारी में घबराए उस जेवर की क़ीमत क्या है? सारी कमाई निगल मन हर्षाये उस जेवर की क़ीमत क्या है? सुनो~~●● जेवर तो बहुत क़ीमती था। पर ये सिर्फ समाज की नजरों में चढ़ने का एक जरिया था। सच मे वो सिर्फ तन सजाता था। मन भटकाता था। थके पांव में बेड़िया डाल बहुत रुलाता था। रौशनी में दिखावा अंधेरे में चढ़ावा था। ये जेवर बहुत क़ीमती था। सबकी नजरों में वजूद भीतर खोखला था। ये जेवर बहुत क़ीमती था!!