एक कहानी ऐसी भी....!!
कहते है शादी दो लोगों का नहीं दो परिवारों का मिलन होता है। लेकिन आज के माहौल में ये बात हर जगह सटीक नहीं बैठती है। सुचित्रा अपने सांवले रंग को लेकर बहुत परेशान रहती थी। हालांकि वो बहुत पढ़ी-लिखी और एक उच्च पद पर आसीन थी। तब भी वो अपने सांवलेपन से दुखी थी। या यूं कहें सब उसे दुखी कर रहे थे। उसका सांवला रंग ही उसकी शादी में बाधा डाल रहा था। उसके घर वाले भी जब-तब उसे उसके सांवले होने का ताना मार देते थे। इससे वो बहुत आहत होती थी। और अक्सर रोते-रोते ही उसकी रात कटती थी। हर दूसरे दिन उसे कोई न कोई देखने आ जाता लेकिन कभी उसके सांवले रंग के करण बात अटक जाती तो कहीं वो अपनी बराबरी का लड़का न पाकर मना कर देती थी। एक दिन एक लड़का दिनेश उसे देखने आया तो सुचित्रा ने अपने घर वालो से उसके सामने जाने से मना कर दिया और घरवालों से कहा कि यहाँ क्या कोई चीज बेच रहे है आप लोग, जो हर दूसरे दिन कोई न कोई खरीददार आ जाता है, और पसंद की चीज न पाकर मना कर जाता है। ये बेइज्जती मैं और बर्दास्त नहीं कर सकती हूँ। तो सुचित्रा की माँ ने उससे कहा ये तो सबके साथ होता है। ये सब तो अक्सर लड़कियों को बर्दास्त करना ही पड़त...