संदेश

नवंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरी प्रार्थना में तुम हमेशा रहते हो

चित्र
सुनो~ तुम्हारी क़ीमत मैं चुका ही नहीं सकती। तुम तो अनमोल हीरा हो। मेरी राह का प्रकाश हो। मेरी शक्ति हो। मेरी आँखों का नूर हो। मैं तो जंगल की सूखी लकड़ी थी। तुमने कोमल पत्तों से सजा दिया। माथे पर सिंदूरी मुकुट सजा मेरी कल्पनाओं में भी मुझे मंगलगान सुना दिया। मेरी प्रार्थना में तुम हमेशा रहते हो, सोचो तो जरा क्यों रहते हो? क्योंकि तुम... युद्ध में हारते नहीं धुंए में उड़ते नहीं भरोसा तोड़ते नहीं मौसम से बदलते नहीं आत्ममुग्धा नहीं। अर्थमय जीवन का तुम सार हो। मेरी कल्पनाओं का तुम पूरा संसार हो!

अधूरा खत

चित्र
कब तक मौन धरूँ मैं? घुटनों-घुटनों पानी में कब तक डुबू मैं? स्नेह का दीप जलाए कब तक सरोवर में तैरूं मैं? भीतर गूंज ही गूंज बाहर कब तक धैर्य धरूँ मैं?? सुनो~~~ एक खत लिखा है। जिसमें अधूरी बात पूरी कहानी लिखी है। धूप की चुभन छांव की तड़प लिखी है। धरा की पीड़ा नील गगन की जुबानी लिखी है। इत्र की खुश्बू में पतझड़ की उदासी लिखी है। एक मैं एक तुम पूरी जुदाई आधी तबाही लिखी है। एक खत में पूरी कहानी आधी बात लिखी है!

मित्रता....प्रेम

चित्र
आकाश सबका मित्र धरा सबकी प्रेयसी है। नदी सबकी साथी जंगल सबके मित्र होते है। छू लेता है जो मन को वो मित्र असीम आंनद का स्रोत होता है। आश्वाशन जो देता वो धूप में छांव होता है। जो असंभव को संभव कर दे वो दूर्वा पर ओस की बूंदों सा, पत्थर पर खिलते फूलों सा होता है। स्थिर, धीरज भरा होता है, वो मित्र गहरी संवेदना से भरा होता है। विशाल हृदय मित्र सागर बीच बहता जहाज सा होता है। तट पर पड़े मूंगे-मोती सा होता है।

बड़े अच्छे लगते हो तुम...।।

चित्र
तुम कौन हो नहीं जानती मैं पर जब-जब सोचती हूँ तुम्हे बहुत अच्छे लगते हो तुम। तरल सी मैं कठोर से तुम फिर भी धूल भरी आंधी में चल ही लेते है। ईंट, कंकर, पत्थर बटोर अपना आशियाना बना ही लेते है। तुम मुझमें..लीन मैं तुझमें..लीन नदियां में बह सागर में मिल ही जाते है। सुनो~~ जब भी इस रहस्यमय जीवन का अंत होगा न। तुम मुझे मिलने जरूर आना। ज्यादा कुछ नहीं बस मेरे माथे को चूम एक जलता अलाव मेरे जिव्हा पर रख देना। अगले जन्म फिर मिलने का वादा ले।

प्रतिक्षण बदलते विचार.......

चित्र
क्षितिज पर फैली ये सूर्य ऊष्मा, देह की दीवार को भी जला देती है। ईंट-पत्थर के मकां में मन दफना देती है। आंखों से टपकते स्वप्न ना जाने कहाँ खो जाते है। भटकते विचार अक्सर पथ भ्रमित हो जाते है। चिंता की घड़ी में आया उन्माद गहरी खाई में धकेल देता है। जैसे अमावश के आंगन में कोई आँसुओ का सैलाब बह रहा हो, और किसी को पता ही न चले। अधूरी पंक्तियों में ये मन पूरा कहाँ हो पाता है। प्रतिक्षण बदलते विचार हर क्षण जाने कैसे अलग रंग अलग ढंग में ढल जाते है। कभी संवर जाते है तो कभी बिखर जाते है! This sun heat spread over the horizon, Also burns the body wall. In a brick-stone mausoleum The mind is buried. Dripping eyes Do not know where is lost. Wandering thoughts Often the path gets confused. Frenzy comes in the moment of worry Pushes deep into the abyss. Like in Amavash's courtyard There is a flood of tears, And nobody came to know. In an incomplete state This whole mind gets mixed up. Keep thoughts Know how different colors...

ऐ रंगरेज....

चित्र
कहना तो बहुत कुछ है, पर मैं खामोश हूँ। जानती हूँ तुझे तू गुस्से में भी बहुत शांत है। समय की धारा में बह आ तो गया मुझ तक, पर मन ही मन बेचैन है। तेरे सवालों में मैं सबसे ऊपर उत्तर में सिर्फ ज़ख्म हूँ। तू खुद से लड़ रहा है, ये तेरे शहर का कैसा रिवाज है।