विचारों का आहता
चलो सड़को पर बिखरे टेशू के फूलों से मिलते है। और कुछ देर के लये विचारों के आहते से बाहर आते है। मेरे मन में अब भी धरा में लिपटी रेत में मेरा बचपन मुस्कुराता है। पर फिर उम्र हो चली है। ये सोच कर मन घबराता है। दुनियां की दौड़ में शामिल होने के लिये तुमने और मैंने अपने अंतस को नोंचा है। वो अंतस अब हमसे हमारा हिसाब मांगता है। और हम तुम बेबस उसको दुनियांदारी का पाठ समझाते है। और बेचैन होते है। जिन्दा रहने के लिये हर पल मरना जरूरी तो नहीं बस खुद पर थोड़ा विश्वास करना जरूरी है। कि तुम भी प्रकृति की अनमोल कृति हो तुम सा भी कोई नहीं है। जरूरी नहीं कि हर महंगी चीज़ अनमोल हो कुछ दोस्ती भी अनमोल होती है। जो हमें यू ही मिल जाती है। जिसका कोई मोल नहीं होता है। बुरे वक़्त में बस तुम थोड़ा सा धैर्य रख लो अच्छा वक़्त खुद चला आयेगा रात के बाद सुबह सा। हम तुम खुद को यू ही जाया करते है। फिजूल की बहस में और किस्मत का रोना रोते है। माना सबकी किस्मत एक सी नहीं होती पर हारने से पहले एक कोशिश तो कर सकते है। और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। अगर फिर भी हार जा...