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जून, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ओ मेरे साथी...... ओ मेरे हमदम.......

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ओ मेरे साथी, मेरे मार्गदर्शक मेरे हमदम, मेरे हमसफ़र तुम्हारी कही अनकही सारी बातें मैंने चुपके से तुम्हारी आँखों में पढ़ ली है। कितना दर्द छिपा है। तुम्हारी स्वप्नीली आँखों में कितना रहस्य भरा है। तुम्हारी इन गहरी आँखों में तुम्हारे चेहरे पर एक उदासी की लकीर भी उभरी हुई है। जो तुमने छिपा रखी है। दुनिया से तुम्हारे होंठो में दबी है। तुम्हारी बातें पर तुम्हारे होंठो से निकलती है। सबको खुश करने वाली बातें तुम मुझसे भी अपने दर्द छिपाते हो और सोचते हो मुझे कुछ पता नहीं चलेगा। क्यों? तुम्हे रोज दिल से पढ़ती हूँ..... तुम्हारा चेहरा मेरी नज़रो में समा चुका है। सच कहूँ..... तुम्हारी सारी कही अनकही बातें मेरे रोम/रोम में बसी है। तुम मेरे हृदय में बसते हो, जिस्म में रक्त से बहते हो, सांसो में हवा से घुलते हो, तुम्हारी धड़कने मेरी धड़कनों को, रोज चीर कर निकलती है। तुम्हारी आहटों पे मेरा दम निकलता है। तुम्हारी बातों से मेरा मन पिघलता है। तुम्हारी आदतों में मेरा हर रंग मिलता है। ओ मेरे साथी, ओ मेरे हमदम, मुझसे न छिपाया कर अपना गम, मुझसे न छिपाया कर अपना ज़ख्म, मुझे न रुलाया कर ...

खुबसूरत अहसास.......दोस्ती🍂🍃

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हजार शिकवे हजार शिकायतें.........🍂🍃 जिंदगी में........🍂🍃 हर कदम पर कांटे राहो में........🍂🍃 पर सब गायब तेरी दोस्ती में........🍂🍃 खुबसूरत अहसास........🍂🍃 खुबसूरत लम्हे.......🍂🍃 यू ही बरकरार रहे.......🍂🍃 तेरी दोस्ती में.......🍂🍃 कांटो की गोद में गुलाब.......🍂🍃 नींदों की गोद में ख़्वाब........🍂🍃 आसमां की गोद में सितारें,🍂🍃 ज़मी की गोद में माटी की सोंधी महक.......🍂🍃 सब परवान चढ़े तेरी दोस्ती में.......🍂🍃 साफ दिल.....नेक इरादे........🍂🍃 सब दोस्ती की पहचान........🍂🍃 और हर पहचान में........🍂🍃 तेरी दोस्ती फले फुले........🍂🍃 खूबसूरत अहसास........🍂🍃 खुबसूरत लम्हे........🍂🍃 सबकी गुज़ारिश है........🍂🍃 जो चैन दे आराम दे......🍂🍃 रूह को सुकून दे.......🍂🍃 वो तेरी दोस्ती.......🍂🍃 जो मुस्कुराकर.......🍂🍃 भीड़ में हाथ थाम ले........🍂🍃 वो सुकून वो आराम.......🍂🍃 तेरी दोस्ती में......!!!🍂🍃

इंतज़ार मौत का........!!!!!

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कितना अच्छा होता जो तुम आ जाती रात मिल जाता शायद कुछ चैन मेरी रूह को पर तुम नही आई,  पूरी रात मैंने तुम्हारा इंतज़ार किया, लेकिन तुम नहीं आई, यू ही पूरी रात गुजर गई, और फिर एक सुबह बिन बुलाए मुझे रुलाने आ गई, अब कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। बस हर पल मौत तुम्हारा इंतज़ार रहता है। ये जो बेतरतीब बीहड़ सी जिंदगी है। न यहाँ हर मोड़ पर काँटों भरी बाड़ लगी है। जिससे बच पाना नामुमकिन सा है। कैसे छलनी हो गया है। मेरा हृदय जहाँ न कोई आस बची है। न कोई उम्मीद मौत अब बस तू अपनी सी लगती है। चल आ जा जल्दी से और मुझे अपने गले से लगा ले, जिंदगी में खुशियों की तमाम कोशिशें अब धूमिल सी हो गयी है। हर रास्ता बंद, और मंजिले खो गयी है। सफ़र जिंदगी का अब कटता नहीं, वक़्त गुजरता नहीं  आँखों में काली स्याही से भरे पन्ने आँखों को मटमैला लाल करते है। और यु ही डबडबाई आँखों में सागर की लहरें ला छोड़ देते है। ये लहरें इतनी नमकीन है। कि मेरा पूरा बदन खारा हो गया है। मौत तू आयेगी जरूर पर तड़पा तड़पा कर है। न तू क्यूँ इतने नख़रे दिखा रही है। चल आ भी जा और नख़रे न दिखा। ...

सफ़र जिंदगी का...........

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बदलते रिश्ते...... रोते हम....... खुद को कोसते रह जाते है। क्यूँ किया किसी पे यक़ी ये दुनिया यक़ी के लायक नहीं ये सोचते रह जाते है। पर सिवाय जाऱ/जाऱ रोने के कुछ नहीं कर सकते है। गलती हमारी होती है। तन्हाई के आलम में हम गैरों को अपना समझ बैठते है। इस काली/नीली रात में तकिये का कोना गीला। और चादर में सिसकियों की सीलन भरते है। एक पल में जिंदगी अमावश की अंधेरी रात में बदल जाती है। हम आकाश का टुकड़ा थामे छनती रात में खुदा से मौत की फ़रमाइश करते है। जो मौत न आये तो आँखों की सूजन में दफ़्न होते है। अश्क़ो के घूंट/घूंट में अपना कफ़न खुद सिते है। पर किसी से कुछ न कहते है। थमी/थमी सी सांसो में बर्फ के पहाड़ में सांसो के घूंट भरते है। अपने ताजा जिस्म को कभी मिट्टी में दफ़्न करते है। तो कभी सिलगती लकड़ियों संग जलाते है। खुद को कोसते रह जाते है। क्यूँ किया किसी पे यकीं ये सोच सोच अपनी ही रूह से बदला लेते है। हर दर्द का मरहम होता है। पर इस दर्द का कोई मरहम नहीं बस अश्क़ो की धारा में तिल/तिल मरते है। अपनी तमन्नाओं का गला घोंट रिश्वत की जिंदगी में रिवाज़ों का हक अदा करते ह...

कशमकश.............

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कशमकश........................... जीवन सफ़र में, जिस्म में रहा..... सांसो के भरोसे चला है। तू क्या पाया क्या खोया तूने इस सोच में वक़्त गवायां है। बदलते मौसमों सी, बदलती तेरी कहानियां धड़कनों में सिमटा अश्क़ो में बहा है। तू नंगे बदन कपड़ों में लिपटा रूह में बेहिसाब रोया है। तू हजार गलतियां तूने की हजार गलतियां ज़माने ने की ये सोच सोच कर जिस्म की सलवटों में दफ़्न हुआ है। तू उम्र के हर पड़ाव पर अकेला पड़ा है। तू ऐ बन्दे अब ये बता क्या पाया क्या खोया है। तूने बस सांसो की उलझन में सांसो के सहारे जिंदा रहा है। तू मंजिल की तलाश में बीहड़ रास्तों की भटकन में अब तक भटक रहा है। तू मोटे अश्क़ो को रुमाल में छिपा गैरों की महफ़िल में खुद को ढूंढ रहा है। तू सुबह से शाम/शाम से सुबह बस यू ही दिनों की गिनती बढ़ा रहा है। तू बोझील पलकों को ख़्वाबो के सहारे हर रात सुला रहा है। तू ये बन्दे अब ये बता क्या पाया क्या खोया तूने जीवन सफ़र में, बस जिस्म के रहा सांसो के भरोसे चला है। तू  !!!!!!

अहसास......💕💕💕

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चोरी की कलम में.....💕💕 आँसुओ की स्याही जो हमने भरी......💕💕 तो कतरा/कतरा ज़ख्म रिशा......💕💕 कोरे पन्नों पर.......💕💕 पर कुछ वक़्त बाद.......💕💕 दिल फूल सा हल्का मिला.......!!!💕💕 तेरे अहसास में मेरा अहसास यू मिला......💕💕 जैसे चाँद सितारों से भरी बारात में......💕💕 रात का ख़ामोश पहरा मिला......!!!💕💕 महोब्बत में.......💕💕 दर्द लेने का करार.....💕💕 इश्क़......💕💕 दर्द देने को बेकरार......💕💕 इश्क़.......💕💕 कभी मीठा.......💕💕 इश्क़.......💕💕 कभी खट्टा......💕💕 इश्क़.......💕💕 तन्हाई के आलम में यादें........💕💕 इश्क़........💕💕 मिलने पर शिकायती प्यार.......💕💕 इश्क़.......💕💕 अश्क़ो की धारा में बहता तकरार.......💕💕 इश्क़.......💕💕 बेपनाह महोब्बत में तड़पता........💕💕 इश्क़.........💕💕 हर ऋतुओं में.........💕💕 हर दर्द में, बढ़ता........💕💕 इश्क़........!!!💕💕 महोब्बत की इंतहा में......💕💕 तड़पता दर्द.......💕💕 एक अजीब अहसास........💕💕 एक लजीज अहसास........💕 एक/दूसरे के बंधन में.......💕💕 एक ...

तुम और मैं....... मैं और तुम

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तुम और मैं..... दो जिस्म एक जान, तुम बादल मैं कोहरा, तुम आसमां मैं बिजली, तुम्हारी यादों में मैं, मेरी यादों में तुम, रोज भटकते है। ख़्वाब बनकर, कभी धरातल के अहसास बनकर, तुम मेरी माटी में, समाये हो बीज बनकर। मैं तुम्हारे शून्य में, फैली हूँ। आग बनकर हवा में सुगंध बन, तुम मुझमें खोये हो। रात की चांदनी बन, मैं तुममें बसी हूँ। ये कैसी तड़प..... कैसी बेचैनी...... तेरी याद भर से, भीग जाती हूँ। सिर से पांव तक। तेरे बिना, मेरा नाम अधूरा, मेरी पहचान अधूरी। तेरा सम्मोहन, मेरी गहराई मिलकर बनते, एक इकाई। अंजान राहो पर, कदम से कदम मिला बढ़ रहे है। जिंदगी के सफ़र में। कभी//कभी सोचती हूँ, अगर तुम बिछड़ गये तो, मैं कैसे जी पाऊँगी। शायद नहीं जी पाऊँगी। बस आसमां में, चाँद के निकट, तारा बन जाऊँगी। फिर हर रोज़, तुम्हें निहारा करुँगी, तुमसे आंख मिचौली खेला करुँगी। एक अनकहा डर.... मुझे रोज रुलाता है। तेरे बिना अब मुझे.... जीना नहीं आता है। नहीं आता है !!!

शब्द.......

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शब्द...... सत्य की राह पर कभी लोहे की चोट कभी सुनार की हल्की थाप शब्दों की वाणी....... मधुर, अमृत मन को तृप्त करती है। और कड़वी वाणी जहर, इंसान को जीते जी मारती है। व्यक्ति का व्यक्तित्व, शब्दों की वाणी में झलकता है। शानदार शब्द, शानदार व्यक्तित्व..... प्यार की रूप/ रेखा में रुपहले शब्द, दर्द की अनुभूति में, जाऱ/जाऱ रोते शब्द, शब्दों के सागर में, ज़मी/आसमां की बातें, चाँद/सितारों की रातें, सब परिपूर्ण होते है। शब्द कमाल के होते है। हर भाषा में ढल जाते है। कभी खिल जाते है। कभी मुरझा जाते है। सब को करीब लाते है। शब्द......!!!

तेरी धड़कने मेरी सांसे......

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यादों की किताब के, हर पन्ने पे दिखती, तुम्हारे दिल की धड़कन, और उठती एक खुशबू एक तरंग,, मोगरे के हर सफे से,, खो जाती हूँ, तुम्हारी सुनहरी यादों में, बाँहो के घेरे में, यादों के धुएं में, मेरा बदन महक उठता है। और रातों के रतजगें करता है। तुम्हारी दीवानगी में, तन/बदन जलता है। डूब जाता है। तुम्हारी ख़ुशबुओं में, बह जाता है। तुम्हारी अल्हड़ दीवानगी में, पिघल जाता है। तुम्हारे खूबसूरत तारीफों से, सच कहूँ तो,, तुम्हारी वाणी से जो मधु टपकता है। न वो मेरे हौसले को ऊँचाई देता है। मेरे दुर्गम मार्गो पर चलने की, हौसला अफ़जाई करता है। मेरे सफ़र के खाई को,, पाटता है। तुम्हारे वजूद का पारदर्शी, सच्चा इंसान मुझे मेरे वजूद से मिलवाता है। मुझे मेरे होने का एहसास करवाता है। तुम्हारी यादों का हर पन्ना, मेरे दिल की किताब में बंद है। मेरे जिस्म में कैद है। मेरी मुस्कुराहटो में, ख़ुशबुओं सा, बिखर रहा है। मदहोशी सा, महक रहा है।

दौड़ जिंदगी की......💥💥💥

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एक शुरुआत, एक अन्त💥 एक जन्म, एक मौत💥 एक जिस्म, एक रूह💥 जरूरते जीवन की💥 मौत ख्वाइशों की💥 तड़पती रूह💥 भटकती जिस्म में💥 अल्फाजों की शक्ल💥 बदलते लोग💥 दफ़्न यादों में💥 दुनिया हँसती है💥 बेनक़ाब रिश्तों पर💥 दुनिया ईर्षा करती है💥 अनमोल रिश्तों से💥 अहंकार में जीवन गवायां💥 हाल देख💥 रावण का💥 कंस का💥 कौरवों का💥 कुछ समझ न पाया💥 बस जिंदगी की दौड़ में💥 जिंदगी हार गया💥 अपनों से बिछड़ कर💥 अपनों की तलाश में💥 लग गया !!!💥💥💥

अहसास........

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अहसास रिश्तों का, कितना अनोखा, कितना प्यारा जैसे नईया खेती जलधारा, पवन में बहती सुरधारा, हर रिश्ता अपनेआप में खोया, पर अहसास में गूँथा रिश्ता, हर पल दिल में धड़कता है। मोज़ो की रवानी में, गहरे सागर में जा मोती बटोरता है। कितना अनोखा बंधन है। ये जैसे लगता हर पल, कोई कदमो से कदम मिला चल रहा है। अहसास के नाज़ुक डोर में, गाढ़े विश्वास की पक्की डोर घुटी होती है। अटी होती है। आसमानी सितारों से बादलों के उड़नखटोले में संचित, बिना अहसास के जीवन में, खुशियों की कल्पना करना, जैसे बिना शून्य का अक्षर, हमेशा अधूरा सा, अकेला पड़ा हुआ अहसास एक कल्पना, लेकिन इस कल्पना के बिना, कोई रिश्ता अपनी मंजिल नहीं पा सकता। न दोस्ती, न प्यार, न जीवन पर खुद का अधिकार। अहसास की ज़मी पर कुछ भी बोओ फ़सल हमेशा हीरे की तैयार होती है। अहसास के बिना हर अहसास कपोल/कल्पित, निराधार, स्वांग रचता सा कभी/कभी सोचती हूँ,  हर अहसास में घुल जाऊँ शहद सी, हर अहसास समेट लू अपनी रगों में दौड़ा दू इसे अपनी नस/नस में, ये अहसास भी कितना अजीब है। अहसास के घुटन में ही, अहसास...

वजह मेरे वजूद की.......

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एक बार एक जिन्दगी मिली, कुछ हँसती, कुछ रूठी सी, रेशम के धागे में कपास के धागे मिली सी, उसकी बेबाक बातें, कभी रुलाती, कभी हँसाती, कभी आंखे दिखा, खुद की बातें मनवाती, उसकी जिंदगी, एक रंगीन किताब, हर पन्ना सलीकेदार, हर पन्ना एक नई उमंग, एक नई सोच, अनछुए पहलुओं, का कुशल कारीगर, बिना पंखों के, उड़ान भरने का हौसला, आवाज़ बुलंद करते लफ़्ज, सीधा दिल पर, चोट करते, झकझोरते, जिंदगी की उधड़ी सिलाई, वो अपने हुनर से बुन देता, बिना किसी शिकायत के, वो तन मन सब भूल जाता, किसी की जिंदगी संवारने में, उसके पंखों की उड़ान, मेरे आसमां के सैर की वजह, उसके हौसले की बाती, मेरे चेहरे पर, नूर की वजह !!!

आखरी गिरह........

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बदलती ऋतुओं में बसंती फाग से तुम, और मैं उड़ती रंगों भरी गुलाल सी, तुम्हारे कुर्ते के झटकन से उड़ती गुलाल, में मैं तुम्हारे आँखों के तारों से उलझ गई, मुझे मेरा कुछ पता न चला, बस तुम्हारे सांसो की डोर से खिंचती चली गई। तुम मेरी ऊँगली थामे मेरे माथे की बिन्दिया से जा मिले, मेरे पैरों के नूपुर में जा बैठे। मेरी सांसो से ये कैसा सौदा किया है। तुमने ये कमबख़्त मुझे छोड़कर नहीं जा रही है। मेरे गले में घुटती रहती है। अब गंगा मईया से किया मेरे वादे का क्या होगा, कि मैं जल्दी आऊंगी आपके आलिंगन में बंधने। मेरे हाथों की अँजुरी में तुम्हारा प्यार, तुम्हारी ख्वाइशें आँखों के कतरो में बहता ये अपनापन। कैसे करूँ तुमसे कोई गिला, कोई शिकवा बस हाथों की लकीरों में तुम्हे तलाशा करती हूँ, जो मिला जितना मिला उसमें सबर करती हूँ। बहुतों के नसीब में ये भी नहीं होता, ये सोच सोच कर खुद को तस्सली दिया करती हूँ !!!

स्वप्निल मिलन.........

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सुनो...... आज तुमने ये क्या कह दिया, मन बावरा हो गया है। बागों में, पर्बतों में झूला डाले स्वप्निल मिलन में खो गया है। जब भी तुम आवाज़ देते हो, ये दौड़ कर तुम्हारे पास चला आता है। रिमझिम/रिमझिम बरसात में छइ-छप करता, तुम्हारी शरारती हथेलियों का जब स्पर्श होता है। चेहरे पर तो हर अहसास बस तेरा चेहरा होता है। बाग, पहाड़ झरने या वो मख़मली सेज़ जहाँ भी हम मिले सब गवाह है। हम कल भी पास/पास थे हम आज भी करीब है। मेरे वजूद में तेरा वजूद कुछ इस तरह मिला है। की तुम रूठो तो मैं मना लूंगी, और मैं रूठी तो खुद मान जाऊँगी, तेरे दिल में हर हाल में रह लूंगी, तेरे जिस्म में रक्त बन बह लूंगी, तेरे जिस्म में सांसे बन सब सह लूंगी, तेरे दिल की गहराई में उतर कर, तेरी बन कर रह लूंगी !!!

सांसे........

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तेरी आँखों की नींद में मैं घुली, ख़्वाब बनकर और तुम घुले, मेरा सुकून बनकर। तुम्हारी सांसो की पहरेदारी में ही अब मुझे मेरी सांसो का सुकून मिलता है। तुम्हारी सांसो की जकड़न में ही अब मुझे मेरी सांसो की गति का एहसास हो पाता है। तुम्हारे हर मर्मस्पर्शी सवाल पर मेरी सांसे तुम्हारे सवालो में मिल जी भर रो पाती है। मेरी सांसो के हम प्याले मेरे एहसासों के हम निवाले बता ये हुनर तूने सीखा कहाँ से? नज़रो में रहते हो पर नज़र नहीं आते। ख़यालो में रहते हो पर जिस्म से बाहर नहीं आते। मेरे होंठो में बुदबुदाते हो पर मेरे होंठो से बाहर नहीं निकलते। "तुम्हारी सांसे मेरा सुकून मेरी सांसे तेरा सुकून नज़र आते है। एक ख्याल के दो परवाने नज़र आते है।" नजर आते है !!!

🌷🌷🌷राधा कान्हा🌷🌷🌷

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कान्हा तुम्हारी परछाई बन गया, मेरा मन🌷 क्यूँ बांध लिया यूँ,  मेरा तन🌷 कान्हा तेरी मुरली की धुन में🌷 मेरी धुन खोने लगी है।🌷 तेरी यादों में मेरी मेरी हँसी🌷 खिलखिलाने लगी है।🌷 कान्हा तेरे प्रेम का मधुरिम नशा छाने लगा है।🌷 मन पर ज़मी ओस की बुँदे पिघलाने लगा है।🌷 कान्हा तेरी दीवानगी में तेरा नाम होले/ होले🌷 शहद में घोल पीने लगी हूँ,🌷 कान्हा तेरी सों अब होले/ होले जीने लगी हूँ,🌷 कान्हा मेरे सारे घावों पर मरहम लगा तुमने मुझे🌷 जाड़े की ठिठुरन में नर्म कंबल सा सम्बल दिया है।🌷 कान्हा तेरे प्रेम की झूले की डोरी में,🌷 मेरी लटें उलझ गई है,🌷 मेरा काजल बिखर गया है,🌷 मेरी बिंदिय कहीँ गिर गई है,🌷 मेरे मुखड़े की हया,🌷 मेरे होंठों पर आ🌷, मन ही मन मुस्कुरा रही है,🌷 कान्हा तेरे प्रेम का मधुरिम नशा छाने लगा है।🌷 अब जिंदगी जीने का मज़ा आने लगा है।🌷 तेरी सों अब ये तेरा हो चूका है।🌷 तेरा हो चूका है।🌷🌷🌷

दोस्ती मोगरे जैसी.....🍁🌿

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हर रिश्ते का नूर, दोस्ती का सुरूर🍁 जैसे पानी में घुलता हर रंग🍁, वैसे दोस्ती में घुलता हर जज़्बात, हर रंग🍁 बेबाकी से हर बात कह जाना दोस्ती,🍁 नम आंखो से मुस्कुराना दोस्ती,🍁 हर दर्द बाँट लेना दोस्ती,🍁 बारिश में पलकों पर बहते अश्क़ो को पहचान लेना दोस्ती,🍁 दोस्त की हर बात पे दाद देना,🍁 और कहना अरे मैं हूँ न,🍁 तू चिंता मत कर,🍁 ये दोस्ती 🍁 वक़्त के हासिये पर हर चीज ढलती है।🍁 पर दोस्ती वक़्त के हासिये पर रोज़ परवान चढ़ती है।🍁 हीरे के ख्वाइश में दोस्ती की हसरत न करना,🍁 बस भीगे मौसम में गीली मिट्टी की फिसलन में दोस्त के आगे हाथ बढ़ाना,🍁 दोस्ती की नई कोपलें गीली मिट्टी में ही फूटती है।🍁 अगर दोस्ती चाहिए तो मन से बेबुनियाद शक़ उलीच दो,🍁 अपने रब पर यक़ीन रखो फिर दोस्ती मिल जाती है,🍁 परवान चढ़ जाती है। दर्द देने का करार दोस्ती.......🍁🌿 दर्द लेने को बेकरार दोस्ती......🍁🌿 दर्द न हो तो बेकार दोस्ती......🍁🌿 मीठा दर्द, मीठा प्यार दोस्ती......🍁🌿 थोड़ा करार, थोड़ा तकरार दोस्ती......🍁🌿                

तुम आकाश.....मैं पृथ्वी......

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 तुम आकाश,  मैं पृथ्वी तुम आकाश में उड़ते स्वछन्द परिन्दे, और मैं पृथ्वी पर कांटों के बीच खिलती एक नर्म नाज़ुक कली, तुम आकाश में किरणें बन न जाने कहा-कहा पहुँच जाते हो, पृथ्वी को भी अपने आग़ोश में भर लेते हो, तुम रात को अलविदा कह रोज़ कैसे भोर की चांदनी ले आते हो, तुम्हारी अरुणाई में पत्ता पत्ता/बूटा बूटा खिल उठता है। मेरे आंगन की तुलसी भी तुम्हारी अरुणाई से हरी/भरी हो मुस्कुरा उठती है। तुम मेरे चौके में भी घुस जाते हो चुपके से रोशनदान के जरिये, जब सुबह मैं चाय बनाती हूँ। ऐसा लगता है। तुम मेरी चाय में इलायची की खुसबू से समा गये हो। और जब मैं अख़बार उठाती हूँ, पढ़ने के लिए तुम वहाँ भी कभी समाचार से कभी शायरी से मेरी नज़रो को छेड़ते रहते हो। तुम कभी मेरी धुप, कभी मेरी छाया बनते रहते हो। मुझमें पूरी पृथ्वी का रहस्य समाया हुआ है। पर तुम्हारी रौशनी के बिना ये अधूरा, इसलिए तुम इसमें भी बीज बन समा जाते हो। इसे अपनी अरुणाई से पूरा कर देते हो। मेरी कविताओं में तुम...... मेरी उपमाओं में तुम...... मेरी लेखनी के कलम की निब में भी तुम..... तभी तो निखरता है.....मेरी कव...

💛💙💚हमसफ़र💛💙💚

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 ख़्वाबो की अदला बदली में💛 जिंदगी बिखर गई💙 लबों की लाली जल गई💚 चाहते आंसू सी पिघल गई💜 बदले की इस साज़िश में💛 खो गया था हमसफ़र मेरा💙 फिर हुई अदला बदली💚 छट गयी काली बदली💜 मिल गया मेरा हमसफ़र💛 वो हो गया मुझ पर मेहरबाँ💙  उसको टूट के चाहा है।  💚 आँखों में बसाया है।💜 उस रूठे ख़्वाब को।💛 फिर से सजाया है।💙 रूठे रब को मनाया है।💚

यामिनी......

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 💝💝मुदित यह यामिनी कहती...... कि संयम तोड़ दूँ सारे शगुन तेरे अधर से कर प्रणय रस माधुरी भर दूँ विचुम्बित कर नयन तेरे सुनहरे स्वप्न मैं भर दूँ मंदिर हर सांस में घुलकर तृषा चिर तृप्त मैं कर दूँ💝💝 💝💝मुदित यह यामिनी कहती...... कि जिंदगी दो दिन की कहानी क्या पाना क्या खोना है। बस एक अधूरी सांस में पूरी सांस बन तुझमें घुल जाना है। तेरे पास आकर तेरा बन जाना है।💝💝

अहसास......

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"जिंदगी बन गए है। प्रेम में पगते हुए कुछ अहसास कुछ कहे कुछ अनकहे जज़्बात रात रात भर ख़्वाब दिन में बहकते हुए से ख्यालात व्यस्तता में भी उनसे मुलाकात सुहानी शाम की टीसती तन्हाईयां अपने अक्स में मेहबूब की परछाइयाँ" !! तुम क्यूँ रोज़ एक सवाल मेरे होंठो पर रख कर चले जाते हो। उत्तर की तलाश में मुझसे न जाने कैसे-कैसे ढेरों सवाल करते हो। और मेरी दुखती नसों में से निकली हँसी की फुहार में खुद ही उत्तर तलाश लेते हो। तुम मेरे लिए कभी सर्दियों की नर्म धुप बन जाते हो। तो कभी गर्मियों की चिलचिलाती धुप। तुम मुझे कितना डाँटते हो। आंखे दिखाते हो। और जो मैं झूठ-मुठ में भी रो दू तो मुझे घंटो अपने सीने से चिपकाए रखते हो। कितना प्यार करते हो मुझे फिर इतना डाँटते क्यों हो? तुम मुझे कभी भरी बरसात में मेरा छाता बन जाते हो। कभी दूर गगन की सैर करवा लाते हो। उड़ते परिन्दे सा मुझे महसूस करवाते हो । सुनो...... नींदों की टहनी से जो ख़्वाब तुम मेरे लिए लाए थे न उनको मैंने मोगरे की वेणी में पिरोकर अपने जुड़े में सजा लिया है। ये जो अहसास के सागर से मीठे मोती तुम बटोर लाते हो न उनको भी...

तेरे ख्यालों में उलझा मेरा मन...........

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 आजकल मैं तेरे खयालों के साँचें में ढलती जा रही हूँ। तेरी हर बात में सुर्ख़ मेहंदी बन रचती जा रही हूँ। अक्सर रात में चांदनी बन मैं तुझे पीछे खिड़की से झांकती हूँ। और तेरे नर्म ख़यालो में खुद को पा निहाल हो जाती हूँ। तुम अक्सर मुझे नींदों में भी आवाज़ देते हो। क्यूँ भला? मैं रोज़ आती तो हूँ। तुम्हारे सपनों पर अपना अधिकार जमाने। तुम्हें अपनी पलकों पर रख पूरी रात निहारती हूँ। सच कितने प्यारे लगते हो तुम जब कभी कभी नन्हे बच्चे सा मुस्कुराते हो। और मेरी उंगली थामे सुकून की चादर में लिपट फिर से ख़याली दुनिया में प्रवेश कर जाते हो। सच मैं तुम्हें यू ही अपलक निहारती हूँ। जैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका की याद में चाँद को निहारता है। तारों संग बतियाता है। और खुद के सवालों पर खुद ही जबाब बन छत पर खुले में यू ही पसर कर सो जाता है। सच उस पल तुम मेरे बेहद करीब होते हो। मैं आजकल सोती ही कहाँ हूँ। तुम्हारे सपनो में आने की तुम्हारी फ़रमाइश पूरी करने में लगी रहती हूँ। आजकल तुम मुझे बहोत सताते हो सारा दिन मुझे हिचकिया आती रहती है। मैं हिचकिया मि...

तन्हाई........

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 बेरंग आँसुओ सी जिंदगी। ख़मोशी से वक़्त के दरिया में बहती है। सोच के हाशिये पर हर पल कटती है। सुबह उसकी अपनों की खुशी तलाशने में और शाम तन्हाई के आंगन में बीतती है। ऐ जिंदगी मुझे रुला मत, मुझे चुप कराने वाला कोई नही। क्यूँ वक़्त बेवक़्त मेरा इम्तिहान लेने चली आती है। मैं अकेली हूँ, मेरा इम्तिहान मत लिया कर। जिसे मैं अपना मान लेती हूँ। वो मुझे छोड़ कर चला जाता है। ऐ जिंदगी मुझे रुला मत, मुझे चुप कराने वाला कोई नहीं। मैं बंजर ज़मी सी हूँ। मुझे काले बादलों का लालच मत दिया कर। मैं मंजिल की तलाश में काँटों भरी पगडण्डी पर चलती हूँ। मेरे पांव में कांटे मत चुभाया कर। मेरे आंसुओ से मेरा बदन भीगा है। मुझे सावन में भीगने का ख़वाब मत दिखाया कर। मेरे अश्क़ो में मेरे नैना बहते है। मुझे सुरमा लगा मेरे गालों को काला मत किया कर। ऐ जिंदगी मुझे रुला मत, मुझे चुप कराने वाला कोई नहीं। मेरे पास दर्द की दौलत बहोत है। मुझे दौलत का लालच मत दिया कर। ऐ जिंदगी मैंने अरमानों की कोठरी पर वक़्त का ताला जड़ रखा है। उसे खुली हवाओं में उड़ने का लालच मत दिया कर। ऐ जिंदगी ऐ जिंदगी मुझे ...

राधा कान्हा.........★★★

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★तेरे प्यार का मेरे दिल को पयाम आया है।★ ★उन सदाओं में बस तेरा ही नाम आया है।★ ★तेरा दिल जो आया इधर मेरा भी गया उधर★ ★तेरी शोख निगाहों का मेरे दिल पे हुआ है। असर★ ★गुनगुनाता है। जब तू उधर गुनगुनाती हूँ मैं भी इधर ।★ ★तेरे प्यार का मेरे दिल को पयाम आया है।★ ★उन सदाओं में बस तेरा ही नाम आया है।★ ★मेरे होंठो पर तेरे दिल का कलाम आया है।★ ★मेरे होंठो पर तेरे दिल का सलाम आया है।★ ★मेरे दिल की धड़कन में बस तेरा ही नाम आया है।★ ★तेरी शोख अदाओं का मेरे दिल पे हुआ है। असर★ ★तेरा दिल जो आया इधर मेरा भी गया उधर★ ★हुआ है। दोनों की दुआओं का असर★ ★गुनगुनाता है। जब तू उधर सुनती मैं तुझे इधर !!!★★            *सफ़र मेरी जिंदगी का.......★            *तुझसे शुरू तुझ पे खत्म........★            *हँसी मेरे लबों पर........★            *तेरे लबों से आती है.......★            *मेरे गालों पर लुढकते अश्क़ो ★           ...

तुम कौन........??

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 ***"कौन तुम मेरे हृदय में         कसक नित नई जगाती         कौन प्यासे लोचनों से         स्वर्ण सपनों को जगाती         नींद के सुने निलय में         कौन तुम मेरे हृदय में?"***  तुम कौन मेरे हृदय में प्रेम की नित नई अगन जलाते हो, तुम कौन जो मेरे प्यासे लोचनों की प्यास को अमृत से छलकते कलशों से मिटाते हो, तुम कौन जो मेरे स्वर्ण सपनों में आ  मेरी नींदे चुरा लेते हो, तुम कौन जो मेरे हृदय में नित नई उम्मीदे जगाते हो, तुम कौन जो मेरे इशारों पर नाचने का ढोंग कर मुझे अपने इशारों पर नचाते हो, तुम कौन जो मेरे मन मस्तिष्क पर अपना अधिकार जमा बैठे हो, तुम कौन जो कंटीले दरख्तों की भीड़ में भी मुझे नर्म मख़मली घास का एहसास कराते हो, तुम कौन जो मेरे हृदय में मेरी सांसे बन  मुझे जिंदा करते हो, तुम कौन??               "बहोत प्यासी हो                चलो उर ताप मैं ह...

ख्वाइशें जिंदगी........

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 इन फसलों की दूरिया मिट जाये तो कितना अच्छा हो, इन बदलती रितुओं में सिर्फ बसंत ठहर जाये तो कितना अच्छा हो, मैं तेरी परछाई बन तेरे साथ चलू बस इतनी चाह मुझको, मैं तेरी धुप में तेरा साया बन तेरे साथ चलू बस इतनी चाह मुझको, मैं तेरे ख़यालो में कई ख़्वाब बुनती हूँ और फिर उन्हें चाँद-तारों से सजा कई किस्से-कहानियां सुनती सुनाती हूँ, मेरे नैनों की सुनहरी झील में तुम मोती बन बसे हो, कमल बन खिले हो, मेरी ऊँगली में तुम जड़ाऊ हीरे की अंगूठी से फसे हो, मेरे होंठो से तुम मधु की धारा से रिस्ते हो, मेरी हँसी में तुम हरसिंगार के फूलों से झरते हो, मेरी सोच में भी तुम पारदर्शी कांच के टुकड़े बन समा गये हो, अब तो मैं तुम्हे सोचती भी नहीं फिर भी तुम पलकों पर रात के चमकते जुगनुओं से आ धमकते हो, और मुझे अपनी बाहों के झूले में झूला जाते हो, "सांसो में रहकर तुम मेरे मेहमान बन गए बात कुछ ऐसी की हमारी मुस्कान बन गए पास रहकर भी लोग हमारे न हो सके और आप दूर रहकर भी हमारी जान बन गए" !!!

उलझे रिश्तों की अनसुलझी डोर.........

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 कभी कभी किसी से ◆ हाथ छुड़ाने की ◆ जरूरत ही नहीं पड़ती ◆ साथ रह कर भी बिछड़ जाते है। ◆ मकां एक रहता है। पर ◆ कमरे अलग अलग हो जाते है। ◆ रिश्ते बनाये थे बनाने वाले ने ◆ पर निभाने वाले बिगड़ जाते है ◆ रिश्ता दिलों का जोड़ है। ◆ पर कभी दिलों को ◆ निचोड़ कर चले जाते है। ◆ रिश्ता दिलों का एहसास ◆ कभी वो एहसान जता के ◆ तोड़ देते है। ◆ रिश्ता दो दिलों का बंधन ◆ पर वो उसमें गांठ लगा के ◆ भूल जाते है। ◆ उलझे रिश्तों की उलझन में ◆ उलझ कर रह जाते है। ◆ कभी कभी दो अजनबी ◆ अनजान रिश्तों में बंध ◆ जन्मों के रिश्तों में ◆ बंध जाते है। ◆ रिश्ता ◆ आंसू और विश्वास का ◆ निशब्द निश्वास का ◆ रिश्ता ◆ एक अनजाने एहसास का !!!◆◆◆

💝💝राधा कान्हा💝💝

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 हाले दिल पूछो न मेरा कान्हा,💝 इश्क़ की मदहोशी में डूबा है।💝 कैसे बताऊ तुझे.......हाले दिल मेरा.....💝💝 कैसे बीति रतियाँ 💝 पिया जाने न 💝 काटे न कटे 💝 बैरन रतियाँ 💝 पिया जाने न हाले दिल मेरा........💝💝 काटे सूनी सेज 💝 काटे बगल तकिया 💝 मन बैरी अकुलाए 💝 जोबन कसमसाय 💝 करवट बदल बदल 💝 कटे सारी रतियाँ 💝 पिया जाने न हाले दिल मेरा..........💝💝 लगने दो अंग सखी 💝 जिया छटपटाय 💝 कसमस कसमस करू 💝 सखी बर्न भई चोली 💝 बर्न भई अंगिया 💝 पिया जाने न हाले दिल मेरा.........💝💝 सखी पिया माने न 💝 नरम कलाई मोरी 💝 छोड़े न कन्हाई 💝 टूट गयी चूड़ी 💝 बैरी दर्द न जाने कन्हाई 💝 बैरी माने न कन्हाई 💝 हाले दिल मेरा पूछे न कन्हाई........💝💝💝

🎊🎊चलिए हंस हंस के चलिए जिंदगी संवर संवर जायेगी🎊🎊

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 हंस के चलिए🎊 तकलीफ बिखर जायेगी🎊 जिंदगी निखर निखर जायेगी🎊 थूक दो मन का मलाल🎊 और मन पे मल लो गुलाल🎊 जिंदगी संवर संवर जायेगी🎊 कुढ़ने वालो पे🎊 कालिख मलते चलिए🎊 चलिए यू ही हंस के चलिए🎊 जिंदगी बदल जायेगी🎊 जिंदगी निखर निखर जायेगी🎊 फिक्र को धुंए में उड़ाते चलिए🎊 जिन्हें फिक्र नहीं आपकी🎊 उन पे जान लुटाते चलिए🎊 यू ही बेफिक्र हंस के चलिए🎊 हंस हंस के चलिए🎊 जिंदगी निखर निखर जायेगी🎊 फिक्र का जिक्र🎊 कभी न करिये🎊 जो जी में आये🎊 मस्ती में करिये🎊 शरारतों से भीगी🎊 बस्ती में रहिये🎊 रंगों की महफ़िल में🎊 रंग बन बिखर जाइये🎊 चाँद रात में🎊 तारों की छाया में🎊 ख़्वाबो की दुनिया में🎊 सुकून से पसर कर🎊 सो जाइये🎊 हंस हंस कर चलिए🎊 चलते चलते हंसिये🎊 जिंदगी संवर संवर जायेगी🎊 जिंदगी निखर निखर जायेगी🎊 जिंदगी निखर निखर जायेगी🎊🎊🎊

💝💝मेरे ख़यालो में तेरा बसेरा........💝💝

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 मेरे मन के ख़यालो में.......💝 तुम हर पल वीणा के तार से बजते रहते हो......💝 मेरी सांसो में तुम खुसबू बन घुलते रहते हो.......💝 मेरी जुल्फों संग खेलते रहते हो......💝 मेरे कंगन संग शरारत करते रहते हो......💝 मेरे पायल की घुंघरुओं की आवाज़ सुन तुम मुझे अपने पास बुलाते रहते हो......💝 मैं भी तो इसी पल का इंतज़ार करती रहती हूँ 💝 कि कब तुम मेरे पायल की आवाज़ सुनो और मुझे अपने पास बुलाओ तुम्हे पता है मैं सिर्फ तुम्हारा सानिध्य पाने के लिए ही तो अपने पैरों को ज़ोर ज़ोर से पटक कर चलती हूँ 💝 और अपने पायलों के घँघुरुओ की आवाज़ करती हूँ।💝 मेरे मन के जंगल में तुम भवरें बन उड़ते फिरते हो......💝 मेरी रगों में तुम सिरहन बन दौड़ते रहते हो......💝 कभी-कभी सोचती हूँ तुम जो न होते तो मैं कैसे जीती, कैसे हँसती, कैसे मुस्कुराती....💝 तुम मेरी जिंदगी में होले-होले मुस्कुराती हवा बन बहते रहते हो........💝 तुम मेरी जिंदगी में सूरज की किरनों से फैले हो,💝 तुम मेरी जिंदगी में शबनम की बूंदों से फैले हो,💝 तुम मेरी रचनाओं में मेघो की बारिक बूंदे बन मेरी रचनाओं में एहसास की लड़िया सजाते...

💝💝💝राधा कान्हा💝💝💝

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 सुनो दिन तो गुजर जाता 💝💝 नहीं गुजरती काली रात 💝💝 यू गिरती सम्हालती हूँ 💝💝 खुद को तेरी यादों के सहारे 💝💝 इश्क़ का परिन्दा जो उड़ा आकाश में 💝💝 तो शोर हुआ 💝💝 दिल से मिले दिल 💝💝 दर्द उठा करारा 💝💝 जिसको दिया दिल 💝💝 उस बेदर्द ने मारा 💝💝 ओठो को ओठो का 💝💝 सहारा दे जिस्म किया घायल 💝💝 पर दिल को लगा प्यारा 💝💝 है.....गोरी...... 💝💝💝💝💝💝💝💝 है गोरी  किस हाल में तू 💝💝 लगती है। बेहाल 💝💝 ये रंग क्यों उड़ा 💝💝 दुप्पटा क्यों उड़ा 💝💝 पैरों को पैरों से 💝💝 मसलती क्यूँ 💝💝 गोरी तेरा है। बुरा हाल 💝💝 जिसको दिया दिल 💝💝 उस बेदर्द ने मारा 💝💝 हर सवाल का जवाब मिल जाये 💝💝 ये जरूरी तो नहीं 💝💝 मेरे प्यार का हिसाब मिल जाये 💝💝 ये जरूरी तो नहीं 💝💝 दिन तो गुजर जाता है 💝💝 नहीं गुजरती काली रात 💝💝 किसने तुझे बहकाया 💝💝 किसने तुझे धमकाया 💝💝 यू गिरती सम्हली है। क्यों 💝💝 गोरी तू नहीं बस में 💝💝 बुरा किया किसी ने तेरा हाल 💝💝 मसलती क्यूँ है। जोबन 💝💝 पटकती क्यूँ है। बदन बन के धोबन 💝💝 कोई आया क्या तेरे द्वार 💝💝 ...

नशा महोब्बत का........

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 रात तेरे ख़्वाबो में गुजरी, दिन तेरे इंतज़ार में, शाम तेरी तन्हाइयों के आँगन में, बेक़रार दिल के नज़दीक आ के देख, तेरे एक इशारे पर मर मिटने को तैयार है। ये दिल बस ज़माने की नज़रों से बचा कर रखना इस इश्क़ को क्योंकी मैं इसे काजल का टीका लगाना भूल गयी हूँ। यहाँ तो चाँद भी नज़रो का टीका लगाता है, ज़मी पर उतरने से पहले। मेरी सांसो के हर घूंट में तेरी महोब्बत पकती है। मेरे जिस्म के हर अंग में तेरी महोब्बत खिलती है। तू इश्क़ की दुनिया का बेताज बादशाह मैं इश्क़ की दुनिया की कलम-स्याही। अब उड़ने दे इश्क़ की महकती खुसबू फिजाओं में.....बहकने दे बारिशों की चंचल अदाओं में। सफ़र कितना भी कठिन क्यों न हो, डगर कितनी भी लंबी क्यों न हो, वक़्त के दरिया में हम यू ही अपनी कस्ती सम्हालेंगे, जो आये तूफान तो एक-दूसरे की पतवार सम्हालेंगे, एक-दूसरे की जीवन नइया सम्हालेंगे, तेरी महोब्बत का नशा भी क्या नशा है। दीदार न हो तो तड़पन दीदार हो जाये तो नशा बेपनाह नशा बेपनाह !!!

सुनो तुम ही तुम हो हर जगह 💝💝💝

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 सुनो तुम ही 💝 दस्तक देते हो 💝 मेरे जज़्बात पे 💝 और पसर जाते हो 💝 मेरे ब्लॉग में 💝 बिन बुलाए मेहमान से 💝 मैं कब जिक्र तुम्हारा 💝 किया करती हूँ 💝 मेरे लफ्जों में 💝 छिप जाते हो 💝 आवारा ख़्वाब से 💝 मैं कब तुम्हे देखा करती हूँ। 💝 मैं कब तुम्हे सोचा करती हूँ। 💝 तुम तो बस 💝 आ जाते हो 💝 फूल पर भवरें से 💝 छा जाते हो 💝 मोगरे के इत्र से 💝 मेरे ब्लॉग पर 💝 मेरे जीवन पर 💝 मेरे चेहरे पर 💝 ये जो हँसी 💝 तुमने सजाई है न 💝 उसे यू ही संवारे रखना 💝 चिलकती धुप में  💝 उड़ा न देना। 💝 सुनो तुम ही  💝 मेरे चाँद-सूरज 💝 तुम ही मेरे 💝 माथे के 💝 बिंदिया सितारें 💝 तुम ही मेरे 💝 जीवन के उजियारे 💝 तुम ही मेरे 💝 दर्पण के श्रृंगार 💝 तुम ही मेरे 💝 जीवन के बहार ! 💝💝💝

अल्फाज़.......

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 रोज कागज़ पे जज़्बात लिखती हूँ, अश्क़ो में भीगे अल्फ़ाज़ लिखती हूँ, पढ़ के कहते है सब क्या गज़ल लिखती हूँ, अरे इन कागज़ के पन्नों से पूछो कि ये कब गीले होते है। कब सूखे होते है। ये तो हमेशा गाढ़े खून में भीगे होते है। जो ये उतरते है। कोरे पन्नों पर तो कभी सूखे अश्क़ लगते है, तो कभी गीले अश्क़ लगते है। न पूछो से कैसे अश्क़ लगते है, ये तो भरी बरसात में टूटे पत्तो पर ठहरे अश्क़ लगते है। वो और उसके अश्क़.... कभी गीले कभी सूखे कभी आँखों के कोरो से बहकर तकिये का कोना गिला करते है तो कभी बिन बादल बरस कर उसके आंचल में पनाह पा सो जाते है। न उसके अश्क़ सूखते है, न उसके जज़्बात, न उसके शब्द सूखते है, न उसके अल्फाज़, वो टूटी है। दर्द में भीगी है। कोरे पन्नों पर नीली स्याही संग बिखर कर वही टेबल पर सर रख कर सो रही है। वो कभी मकड़ी के जालों में लिपटी कविताएं लिखती है। तो कभी उल्फ़त के फसानों में लिपटी रचनाएं। कभी माखन में लिपटे राधा-कान्हा। कान्हा उसकी जिंदगी का अनमोल हीरा, कान्हा उसकी जिंदगी का धुप-छाव, कान्हा उसकी जिंदगी का सतरंगी इंद्रधनुष, कान्हा उसकी जिंदगी का अमृत, कान्हा ...

मोहे काहे सताए रे कान्हा...........

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पहर पहर......* डगर डगर.......* चलत हमसफ़र......* हरदम हरपल......* छनक छनक.......* बाजे प्रेम नूपुर......* छलक छलक.......* जाय गगरी.......* चलत चलत.....* कर पकड़......* प्रेम पथ हमसफ़र......* मोहे काहे सताए रे पिया.............काहे सताए *** झनक झनक......* बाजे पग नूपुर......* छलक छलक.......* जाए प्रेम गगरी......* चलत चलत......* कर पकड़......* प्रेम रथ हमसफ़र.....* मोहे काहे सताए रे पिया.................काहे सताए *** बरसाए पनिया......* बरसाए बरसाए.......* देत भीगाय.......* अंगिया घघरा चोली......* सब देत भीगाय........* कैसे करूँ रार......* का से करूँ रार......* मोहे काहे सताए रे पिया..................काहे सताए ***  !!! .